लखनऊ:जनपद में मंगलवार को माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयागराज द्वारा घोषित हाई स्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा वर्ष 2023 के परिणाम के अनुसार उत्तर प्रदेश की जेलों में निरुद्ध हाईकूल बोर्ड की परीक्षा में बैठने वाले बंदियों का पास प्रतिशत 95% रहा. वहीं, इंटरमीडिएट में 70.3% बंदी पास हुए हैं. हाईस्कूल में 82.4 प्रतिशत और इंटरमीडिएट के 13.3 बंदियों ने प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं.
जेल में बंद ओंकार व छोटेलाल ने बोर्ड परीक्षा में किया टॉप, हाईस्कूल में 95 व इंटर में 70% अभ्यर्थी हुए पास
यूपी बोर्ड की परीक्षा में बैठने वाले प्रदेश की विभिन्न जेलों में निरुद्ध कैदियों का परिणाम हाईस्कूल में 95 प्रतिशत रहा, तो इंटरमीडिएट में 70.3% बंदी पास हुए हैं. सेंट्रल जेल बरेली के कैदी बंदी ओमकार सिंह ने टॉप किया है. वहीं, रामपुर जेल में बंद नईमा ने जेलों में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है.
पुलिस महानिदेशक महानिरीक्षक कारागार एसएन साबत ने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट बोर्ड की परीक्षा में सफल सभी बंदियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं. जो बंदी किसी कारण से सफल नहीं हो सके हैं, उन्हें और मेहनत से अगले वर्ष परीक्षा में बैठने की सलाह दी गई है. बंदियों की शिक्षा से जुड़े हुए सभी जेल अधिकारी व शिक्षकों को भी उन्होंने धन्यवाद और बधाइयां देते हुए यह संदेश दिया है कि वे अगले वर्ष की बोर्ड परीक्षाओं में और भी अधिक बंदियों को हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए प्रेरित करें.
केंद्रीय कारागार बरेली के बंदियों ने किया टॉप:सेंट्रल जेल बरेली के सिद्ध दोष बंदी ओमकार सिंह पुत्र वहां प्रताप सिंह निवासी सुजौलिया थाना कमला पुर जनपद सीतापुर धारा 302 IPC में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उसने हाईस्कूल की परीक्षा में 503 /600 अंक प्राप्त कर के प्रदेश की जेलों में टॉप किया है. जेल में रह कर अशिक्षित बंदियों को पढ़ाने के अलावा इग्नू की परीक्षा में बैठने वाले बंदियों को भी पढ़ाते हैं. वहीं, सेंट्रल जेल बरेली के ही छोटे लाल पुत्र चंदूलाल निवासी झखराबा ने इंटर की परीक्षा में 367/500 अंक पाकर प्रदेश की जेलों में टॉप किया है, यह बंदी 498 ए 304 B में दस वर्ष की सजा काट रहा है.
जिला कारागार रामपुर में निरुद्ध सिद्धदोष महिला बंदी नईमा पुत्री मोहम्मद इस्लाम ने हाई स्कूल की परीक्षा में 436/600 अंक प्राप्त करके जेलों में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है. नईमा की यह उपलब्धि सिर्फ़ इसलिए अतिविशिष्ट नहीं है कि महिला होते हुए भी कारागार में निरुद्ध रखते हुए उसने यह उपलब्धि हासिल की है . बल्कि इसलिए भी यह ख़ास है कि नईमा का परीक्षा केन्द्र केन्द्रीय कारागार बरेली में था. जहां महिला बंदियों को रखे जाने की व्यवस्था नहीं है. जबकि वह जिला जेल रामपुर में निरुद्ध थी. शिक्षा के प्रति उसकी लगान और रुचि को देखते हुए कारागार मुख्यालय द्वारा उसे जिला जेल रामपुर से लाकर बरेली में रखने की विशेष व्यवस्था की गई, जहां रह कर उसने केंद्रीय कारागार बरेली में हाई स्कूल की परीक्षादी.
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