लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र का आज पहला दिन था. उम्मीद की जा रही थी कि इस सत्र में प्रदेश की जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी, पर यह उम्मीद तब मिथ्या साबित हुई, जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मणिपुर हिंसा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बयान देने की मांग की और ऐसा न होने पर विपक्षी विधायक नारेबाजी करने लगे. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि विधानसभा में राज्य से जुड़े विषय ही उठाने चाहिए. मणिपुर की घटना की सभी लोग निंदा करते हैं, पर यह विषय विधानसभा में उठाने योग्य नहीं है.
समाजवादी पार्टी प्रदेश का सबसे बड़ा विपक्षी दल है. कांग्रेस के सिर्फ दो तो बहुजन समाज पार्टी का सिर्फ एक विधायक चुनकर विधानसभा पहुंच पाया है. राष्ट्रीय लोकदल सपा गठबंधन का साथी है, जबकि चुनाव के समय सपा गठबंधन में शामिल रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अब भाजपा गठबंधन में शामिल हो चुकी है. ऐसे में समाजवादी पार्टी से लोगों की सबसे ज्यादा उम्मीदें होती हैं, जो सरकार की खामियों को गिनाने के साथ जनता से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठा सकती है. हालांकि पहले ही दिन समाजवादी पार्टी ने लोगों को निराश किया. सपा विधानसभा में मणिपुर के मुद्दे पर निंदा प्रस्ताव चाहती थी. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान भी चाहते थे. स्वाभाविक है कि अध्यक्ष ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी. प्रश्न उठता है कि क्या प्रदेश में विपक्ष के पास उठाने योग्य मुद्दों की कमी है अथवा वह इन मुद्दों से वाकिफ ही नहीं है.