लखनऊः ईद-उल-अजहा ( Eid-ul-Azha) से पहले इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया (Islamic Center of India) ने एडवाइजरी जारी की है. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल के चेयरमैन और ईदगाह लखनऊ के इमाम मौलाना खालिद रशीद फारंगी ने वैश्विक महामारी कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए ईद-उल-अजहा ( Eid-ul-Azha) पर देश के मुसलमानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Azha) पर स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षा के उपायों और सरकार के बंदोबस्त पर मुसलमानों से अमल करने की अपील की गई है. इमाम ने अपील की है कि कानूनी दायरे में रहते हुए कुर्बानी को अंजाम दें.
जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि ईद के दिन गुस्ल करना, अच्छे कपड़े पहनना, खुशबू तेल, और सुर्मा लगाना सुन्नत है, इस लिए इन चीजों का एहतिमाम किया जाए. इसके अलावा ईदगाहों और मस्जिदों में ईद उल अजहा की जमाअत में प्रशासन की गाइड लाइन के अनुसार सिर्फ 50 लोग ही नमाज अदा करें. इस दौरान मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखने की सलाह दी गई है. ईद की नमाज के बाद खुतबा पढ़ना सुन्नत है. अगर किसी को खुतबा याद न हो और खुतबे की कोई किताब भी न हो तो वह पहले खुतबे में सूरह फातिहा और सूरह अखलास पढ़े और दूसरे खुतबे में दुरूद शरीफ के साथ कोई दुआ अरबी में पढ़े. मौलाना खालिद रशीद ने लोगों से अपील की है कि इस बार ईद उल अजहा के दिन किसी से हाथ न मिलायें और न गले मिले.
मौलाना खालिद रशीद फारंगी के अनुसार ईद उल अजहा के 3 दिनों (10, 11, 12 जिलहिज्ज मुताबिक 21, 22 और 23 जुलाई) में कुर्बानी करना कोई रस्म नहीं बल्कि खुदा पाक की पसंदीदा इबादत है. इन दिनों में इस का बदल कोई दूसरा नेक अमल नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में कानूनी बंदिशें हैं या कोशिशों के बावजूद भी जानवर नहीं हासिल हो पा रहे हैं तो वह लोग भी अपनी रकम दूसरी जगह भेज कर कुर्बानी करा लें. अगर किसी वजह से दूसरी जगह कुर्बानी नही हो सकी तो ऐसी सूरत में कुर्बानी के दिनों के बाद कुर्बानी की कीमत के बराबर रकम सद्का यानी गरीबों को देना वाजिब है.