लखनऊ :राजधानी के चर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में सीबीआई की सिफारिश के बाद हुई विभागीय जांच में 2005 बैच की आईपीएस मंजिल सैनी को क्लीन चिट मिल गई है. यानी कि उन पर जो आरोप लगे थे, जांच में साबित नहीं हुए हैं. गृह विभाग ने जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दी है, अब आगे का फैसला मुख्यमंत्री कार्यालय ही करेगा.
श्रवण साहू हत्याकांड : सुरक्षा मुहैया कराने के मामले में IPS मंजिल सैनी को मिली क्लीन चिट, जानिए पूरा मामला - एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी
राजधानी में 2017 में श्रवण साहू की हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में मंजिल सैनी पर आरोप लगे थे कि पुलिस ने उनको सुरक्षा नहीं दी थी. साथ ही जांच की मांग की गई थी.
दरअसल, श्रवण साहू हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई ने मार्च 2021 में आईपीएस मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय जांच करवाए जाने की सिफारिश की थी. आरोप था कि तत्कालीन एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी ने श्रवण साहू को सुरक्षा मुहैया कराने में हीलाहवाली की थी. जिसके बाद विभागीय जांच शुरू हुई और इंटेलिजेंस एडीजी भगवान स्वरूप, एसपी संजीव त्यागी जांच अधिकारी नामित किए गए थे. एक महीने तक चली जांच के दौरान सुरक्षा दिए जाने के प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों, पत्रकारों, श्रवण साहू के परिवार के लोगों के बयान दर्ज किए गए. इस दौरान मंजिल ने भी उन्हें दिए गए आरोप पत्र का जवाब दाखिल किया, जिसके बाद जांच में दस्तावेजों से यह प्रमाणित नहीं हो पाया कि तत्कालीन लखनऊ एसएसपी मंजिल सैनी की ओर से सुरक्षा देने में लापरवाही की गई.
सीबीआई ने मंजिल समेत कई अधिकारियों को माना है दोषी :इस मामले में हुई सीबीआई की जांच में आया था कि श्रवण साहू ने लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी व डीएम जी एस प्रियदर्शी से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. एसएसपी ने जहां श्रवण साहू की मांग को अनदेखा किया था तो तत्कालीन डीएम ने साहू को सुरक्षा मुहैया कराने की फाइल को लटकाए रखा था, वहीं इसी दौरान वो अन्य लोगों को सुरक्षा देने से संबंधित फाइल पर अपनी स्वीकृति प्रदान करते रहे थे. सीबीआई ने जीएस प्रियदर्शी से इस मामले में पूछताछ भी की थी, लेकिन वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे. सीबीआई ने श्रवण साहू हत्याकांड की जांच करते हुए तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक एलआईयू एके सिंह को भी दोषी पाया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने श्रवण साहू के बेटे की हत्या के बाद उन पर भी जान का खतरा होने के बावजूद सुरक्षा देने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए और फाइल को लटकाए रखा. जांच के दौरान सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी तो उन्होंने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए वरिष्ठ अधिकारियों पर इल्जाम लगाये थे.