लखनऊ :केजीएमयू में अब रिसर्च बेस ट्रीटमेंट (Research Base Treatment) पर फोकस है. इसके लिए यूके की नामी संस्थान कोक्रेन के सहयोग से टेक्नोलॉजी ड्रिवेन डायग्नोज पर काम किया जा रहा हैं. इस पहल से गंभीर रोग से जूझ रहे मरीजों का आसानी से इलाज हो सकेगा.वहीं डॉक्टरों को बीमारियों के सबूत तैयार करने में भी मदद मिलेगी. रिसर्च पर फोकस करने वाले मेडिसिनल साइंटिस्ट के लिए यह अवसर बेहद मुफीद साबित होगा. बड़ी बात यह है कि इस पहल से मरीजों के सटीक इलाज में भी रास्ता साफ हैं.
कोक्रेन ने उत्पन्न साक्ष्य का उपयोग डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा जनता के लाभ के लिए बीमारी, टीकों के लिए दिशा निर्देश तैयार करने के लिए किया जाता है. कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी (Vice Chancellor Lt. Gen. Dr. Bipin Puri) के अनुसार कई बीमारियों के लिए साक्ष्य प्रदान करने के लिए नीति आयोग और नीति निर्माताओं को समर्थन देने और मदद करने के लिए केजीएमयू हमेशा तैयार रहेगा.
इस मौके पर कुलपति प्रो. विनीत शर्मा. प्रोफेसर एके त्रिपाठी, डीन एकेडमिक और प्रो. एपी टिक्कू, डीन डेंटल साइंसेज भी उपस्थित थे. 12 चिकित्सा संस्थानों से लगभग 160 प्रतिभागियों ने कार्यशाला में भाग लिया. प्रो. बालेंद्र प्रताप सिंह, प्रो. हरदीप सिंह मल्होत्रा, डॉ. डी. हिमांशु रेड्डी, प्रो. आरडी सिंह, प्रो. राजीव कुमार सिंह, केजीएमयू से डॉ. राहुल कुमार और आईसीएमआर से डॉ. अंजू सिन्हा को प्रशिक्षण दिया गया है. भविष्य में केजीएमयू अगले साल कोक्रेन इंडिया नेटवर्क की उन्नत कार्यशाला और राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करेगा, जहां विभिन्न क्षेत्रों के सभी विशेषज्ञ भाग लेंगे.
यूके के साथ मिलकर होगा इनवेस्टिगेटिव ट्रीटमेंट, केजीएमयू में शोध के जरिए हो रहा इलाज - collaboration
केजीएमयू में अब रिसर्च बेस ट्रीटमेंट पर फोकस है. इसके लिए यूके की नामी संस्थान कोक्रेन के सहयोग से टेक्नोलॉजी ड्रिवेन डायग्नोज पर काम किया जा रहा हैं. इस पहल से गंभीर रोग से जूझ रहे मरीजों का आसानी से इलाज हो सकेगा. वहीं डॉक्टरों को बीमारियों के सबूत तैयार करने में भी मदद मिलेगी.
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