लखनऊ: अक्सर मां-बाप के सपने बच्चे पूरा करते नजर आते हैं, लेकिन जब पिता भी अपना नाम एक मुकाम पर पहुंचा चुके हों तो बच्चे खुद-ब-खुद अपना नाम कमाने की राह पर आगे बढ़ जाते हैं. ऐसी ही एक 22 वर्षीय युवती पूर्वा धवन अपने सपनों की उड़ान भरने की तैयारी शुरू कर चुकी हैं. पूर्वा प्रदेश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही हैं.
प्रदेश की पहली सबसे कम उम्र पर्वतारोही
22 वर्षीय पूर्वा धवन 1 साल पहले यूरोप की एक टीम के साथ माउंट एलब्रुस पर चढ़ाई कर चुकी हैं. यूरोप के दल में शामिल होने वाली पूर्वा प्रदेश की एकमात्र लड़की थीं. अब वह मिशन एवरेस्ट 2021 की तैयारियों में जुट गई हैं. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.
परिवार ने आगे बढ़ने में दिया साथ
पूर्वा बताती हैं कि बचपन से ही उनको गर्दन में एक बीमारी थी, जिसकी वजह से गर्दन टेढ़ी थी और उन्हें 3 साल की उम्र से ही कई सर्जरीज का सामना करना पड़ा था. इस दौरान स्कूल में वह कई बार बुलिंग का शिकार भी हुईं, लेकिन स्कूल में उनके टीचर ने दूसरे क्लासेज में जाकर उनसे प्रेरणा लेने की बात कही. जब उन्हें यह बात पता चली तो उनके अंदर जोश आया और उन्हें लगा कि उन्हें जिंदगी में आगे कुछ करना है. इसी के आगे जब एक दिन बैठे-बैठे पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा के बारे में वह पढ़ रही थी तो उनके मन में ख्याल आया कि अरुणिमा के आगे उनकी परेशानियां कुछ भी नहीं हैं. इसके बाद वह पूर्वा की प्रेरणा बन गईं. अपने घर-परिवार के सामने जब पूर्वा ने पर्वतारोही बनने की बात कही तो सबसे पहला प्रोत्साहन उन्हें अपने पापा से मिला.
पिता ने दिया सबसे ज्यादा साथ
पूर्वा के पापा एके धवन खुद भी मोपेड से लेह लद्दाख तक का दौरा अपने नाम कर चुके हैं. ऐसे में वह कहते हैं कि मैंने अपनी बेटियों को पूरी छूट दे रखी है कि वह जो चाहे अपनी जिंदगी में कर सकती हैं. जब पूर्वा ने बताया कि वह पर्वतारोही बनना चाहती हैं तो मुझे लगा कि उसके सपने को आगे बढ़ाने के लिए यह सही कदम होगा और मैंने सबसे पहले उसके लिए हामी भरी.