लखनऊ: 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है. अस्पताल में नर्सों की खास अहमियत होती है. क्योंकि वह नर्स ही होती हैं जो अस्पताल में मरीज का ख्याल रखती हैं. कोरोना महामारी के दौरान जब अपनों ने ही अपनों को अस्पताल में मरने के लिए छोड़ दिया था, उस समय इन्हीं स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मरीजों की देखरेख की थी. नर्सों की अहमियत कोरोना काल में लोगों को अधिक समझ आई. इसके बावजूद प्रदेश में ही नहीं बल्कि राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में भी नर्सों के पद खाली हैं. आज अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने राजधानी की नर्सों से बातचीत की. नर्सों ने कोरोना के कठिन दौर में दिन-रात मरीजों की सेवा की और अपने घर समेत अस्पताल की जिम्मेदारियों को भली-भांति निभाया.
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने का उद्देश्य : अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने का उद्देश्य इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज, नर्सों के लिए नए विषय की शैक्षिक और सार्वजनिक सूचना की जानकारी व सामग्री का निर्माण और वितरण करके इस दिन को याद करना है. अंतर्राष्ट्रीय दिवस की शुरुआत 12 मई 1965 में हुई थी. नोबेल नर्सिंग सेवा की शुरुआत करने वाली फ्लोरेंस नाइटइंगेल के जन्मदिवस पर हर साल दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है.
ड्यूटी के समय पता चला कि अब नहीं रहे पिताजी :नर्स पूजा सिंह ने बताया कि कोरोना काल बहुत ही कठिन दौर था. न सिर्फ किसी एक के लिए बल्कि सभी के लिए एक-एक दिन मुश्किल भरा था. नर्स पूजा सिंह कि इस दौरान जब ड्यूटी कर रही थीं तो घर से फोन आया पिताजी की तबीयत खराब है. उन्हें अस्पताल लाया गया. लेकिन, अस्पताल में एक भी बेड खाली नहीं था. पिताजी जब भर्ती नहीं हो सके तो लगा कि समय हमारे हाथ में नहीं है. उन्होंने नम आंखों से कहा कि अस्पताल में इलाज के दौरान मेरे पिताजी की मौत हो गई. उस घटना को वह कभी भी नहीं भूल सकती हैं. उन्होंने कहा कि आंखें नम थीं लेकिन ड्यूटी करनी थी. अपनी शिफ्ट खत्म होने के बाद मैंने बेटी के फर्ज को निभाया.