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वैश्विक स्तर पर 200 मिलियन लोग बौद्धिक अक्षमता से पीड़ित: प्रो. तपस कुंडू

सीएसआईआर केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ में प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा महत्वपूर्ण वैज्ञानिक विचार-विमर्श किए गए. ड्रग डिस्कवरी रिसर्च में वर्तमान रुझान पर 8वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन व्यवहार संबंधी दोषों को दूर करने पर चर्चा हुई.

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सीएसआईआर वैज्ञानिक

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Published : Mar 13, 2022, 8:21 PM IST

लखनऊ: सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान में आठवीं 'ड्रग डिस्कवरी रिसर्च में वर्तमान रुझानों पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी' के दूसरे दिन प्रख्यात रविवार को वैज्ञानिकों द्वारा महत्वपूर्ण वैज्ञानिक विचार-विमर्श किया गया. संगोष्ठी में सीएसआईआर के निदेशक प्रोफेसर तपस कुंडू ने ने कहा कि बौद्धिक विकलांगता (आईडी) ऑटिज्म के उपचार में सहायक हो सकते हैं. यह बात रविवार को सीएसआईआर के निदेशक प्रोफेसर तपस कुंडू ने कही. संगोष्ठी के दूसरे दिन का पांचवां सत्र एजिंग एंड न्यूरोडीजेनेरेशन पर केंद्रित था.

प्रो. तपस कुमार कुंडू ने लखनऊ कहा कि मस्तिष्क के सामान्य विकास के लिए कई सायनैप्टिक प्रोटीनों का समन्वित रूप से कार्य करना आवश्यक है. इन सायनैप्टिक प्रोटीनों के लिए जिम्मेदार इन एन्कोडिंग जीनों में उत्परिवर्तन, मस्तिष्क के विकास को बाधित करता है. यह मानसिक मंदता, बौद्धिक अक्षमता या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एवं अन्य न्यूरोडेवलपमेंटल रोगों का कारण बनता है.

प्रोफेसर ने कहा कि बौद्धिक अक्षमता (आईडी) के निदान की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है. वैश्विक आबादी का लगभग 1-3% (लगभग 200 मिलियन लोग इससे पीड़ित हैं). बौद्धिक अक्षमता एक ऐसा शब्द है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की अपेक्षित स्तर पर सीखने और दैनिक जीवन में कार्य करने की क्षमता में कमी हो जाती है. बच्चों में बौद्धिक अक्षमता के स्तर बहुत भिन्न होते हैं. आईडी व ऑटिज्म वाले बच्चों को दूसरों को उनकी इच्छाओं और जरूरतों के बारे में बताने और खुद की देखभाल करने में मुश्किल हो सकती है.

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बौद्धिक अक्षमता की शुरुआत उसके जन्म से पहले एवं 18 वर्ष की उम्र तक कभी भी हो सकती है. यह चोट, बीमारी या मस्तिष्क में किसी समस्या के कारण हो सकता है. उन्होंने आगे बताया कि कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि आनुवंशिक उत्परिवर्तन को ठीक किए बिना, एपिजेनेटिक स्थिति को संशोधित करके रोग के लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. उन्होंने अपने नवीन शोध को साझा किया और बताया कि एपिजेनेटिक मॉड्यूलेटर चूहों के मॉडल में सायनैप्स, मेमोरी और व्यवहार संबंधी दोषों को दूर कर सकता है. प्रो कुंडु, बौद्धिक अक्षमता/ऑटिज्म से पीड़ित रोगियों के लिए संभावित चिकित्सीय दवा के विकास पर कार्य कर रहे हैं.

नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर हरियाणा के डॉ. सौरव बनर्जी ने लॉन्ग नॉन-कोडिंग आरएनए इन द सायनैप्स एंड देयर इम्प्लीकेशंस इन मेमोरी पर अपने हालिया अनुसंधान निष्कर्षों को साझा किया. उन्होंने बताया कि कैसे एलएनसीआरएनए, सीखने और स्मृति और नींद की कमी समेत विभिन्न संज्ञानात्मक (कौग्निटिव) कार्यों के नियामक के रूप में कार्य करता है.

पिट्सबर्ग मेडिकल सेंटर विश्वविद्यालय, यूएसए के प्रो. उदय पांडे ने 32 अलग-अलग न्यूरोडेवलपमेंटल रोगी परिवारों में जीन के नवीन वेरिएंट की पहचान के लिए अपने हालिया शोध को साझा किया. उन्होंने बताया कि जेमिन 5 के ये दोषपूर्ण रूप सामान्य कार्यों में बाधा डालते हैं, जिनके परिणामस्वरूप न्यूरोडेवलपमेंटल जिले (तंत्रिकीय विकास में विलंब) और अटेक्सिया होता है.

उन्होंने आगे बताया कि ये निष्कर्ष सामूहिक रूप से इस बात का सबूत देते हैं कि जेमिन 5 प्रोटीन में होने वाले पेथोलॉजिकल रूपांतरण, फिजिओलॉजिकल फंक्शन्स शारीरिकीय कार्यों को नुकसान पहुंचाते हैं, जो न्यूरोडेवलपमेंटल सिंड्रोम के रूप में बदल जाता है. ऑरिजीन डिस्कवरी टेक्नोलॉजीज लिमिटेड बेंगलुरु डॉ रेड्डीज लैब की एक सहायक कंपनी है. कैंसर के लिए टार्गेटेड (लक्षित) स्मॉल मोलिक्युल थेरेप्युटिक्स (लघु योगिक चिकित्सा विज्ञान) की खोज और विकास" पर एक विस्तृत व्याख्यान दिया. उन्होंने कैंसर के इलाज के लिए नए थेरेप्युटिक्स के रूप में नए लक्षित छोटे यौगिकों के विकास पर जोर दिया.

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