लखनऊ :हिन्दू धर्म में गाय का महत्व इसलिए नहीं रहा कि प्राचीन काल में भारत एक कृषि प्रधान देश था और आज भी है और गाय को अर्थव्यस्था की रीढ़ माना जाता था. भारत जैसे और भी देश है, जो कृषि प्रधान रहे हैं लेकिन वहां गाय को इतना महत्व नहीं मिला जितना भारत में. दरअसल हिन्दू धर्म में गाय के महत्व के कुछ आध्यात्मिक, धार्मिक और चिकित्सीय कारण भी रहे हैं. आओ जानते हैं कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी...
* गाय एकमात्र पशु ऐसे है जिसका सब कुछ सभी की सेवा में काम आता है.
* स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है, जबकि उसके मांस से 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं.
* गाय का दूध, मूत्र, गोबर के अलावा दूध से निकला घी, दही, छाछ, मक्खन आदि सभी बहुत ही उपयोगी है.
* पूरी संसद द्वारा गौवध बंदी करने का समर्थन करने पर भी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि यदि यह प्रस्ताव पास होता है, तो मैं प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दूंगा.
* एक जानकारी के अनुसार मुस्लिम शासन के समय गौवध अपवादस्वरूप ही होता था. अधिकांश शासकों ने अपने शासन को मजबूत बनाने और हिन्दुओं में लोकप्रिय होने के लिए गौवध पर प्रतिबंध लगाए थे.
* अंग्रेजों ने भारत में गौवध को बढ़ावा दिया. अपने इस कुकर्म पर पर्दा डालने के लिए उन्होंने मुस्लिम कसाइयों की नियुक्ति बूचड़खानों में की थी.
* गुरु वशिष्ठ ने गाय के कुल का विस्तार किया और उन्होंने गाय की नई प्रजातियों को भी बनाया, तब गाय की 8 या 10 नस्लें ही थीं जिनका नाम कामधेनु, कपिला, देवनी, नंदनी, भौमा आदि था.
* भगवान श्रीकृष्ण ने गाय के महत्व को बढ़ाने के लिए गाय पूजा और गौशालाओं के निर्माण की नए सिरे से नींव रखी थी. भगवान बालकृष्ण ने गाएं चराने का कार्य गोपाष्टमी से प्रारंभ किया था.
* पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान राज्य में गौहत्या पर मृत्युदंड का कानून बनाया था.
* रामचंद्र ‘बीर’ ने 70 दिनों तक गौहत्या पर रोक लगवाने के लिए अनशन किया था.
* वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं.
* गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोककर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं. यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है.
* गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होती है.
* सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है. गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है. यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में. कई रोगियों को स्वर्ण भस्म दिया जाता है.