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प्रोफेसर पाठक के खिलाफ बनी जांच समिति को राजभवन ने किया निरस्त, पूर्व वीसी ने बनाई थी कमेटी - प्रोफेसर विनय पाठक

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ गठित जांच समिति और कार्रवाई को राजभवन की ओर से निरस्त कर दिया गया है.

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Published : May 26, 2023, 11:12 PM IST

लखनऊ : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ गठित जांच समिति और उसकी कार्रवाई को कुलाधिपति ने निरस्त कर दिया है. प्रो. पाठक वर्तमान में कानपुर विवि के कुलपति हैं. प्रोफेसर पाठक के खिलाफ इसी साल 1 फरवरी को एकेटीयू के तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा ने पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की थी. जिसके बाद प्रोफेसर पीके मिश्रा और राजभवन के बीच में काफी तनावपूर्ण माहौल बन गया था. विश्वविद्यालय के सूत्रों का कहना है कि इसी के बाद दबाव में आकर प्रोफेसर पीके मिश्रा को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा था.

राजभवन से जारी पत्र.


कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक इसके पहले एकेटीयू के कुलपति थे. उनके कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा ने जांच बैठाई थी. इसमें विवि के धन का दुरूपयोग व अपात्र लोगों की नियुक्ति करने सहित कई आरोपों की जांच रिटायर जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव कर रहे थे. हालांकि इस जांच समिति बनाने के बाद कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा पर कुलाधिपति कार्यालय की नजरें टेढ़ी हो गई थी और कुलाधिपति ने तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा पर जांच बैठाते हुए उन्हें शकुन्तला विवि से अटैच कर दिया था. बाद में कुलपति प्रो. प्रदीप ने मजबूरन अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था.

राजभवन से जारी पत्र.

राजभवन ने माना विधिक दृष्टि से सही नहीं जांच :इसके बाद अब कुलाधिपति ने तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा द्वारा पूर्व वीसी के खिलाफ बैठाई जांच समिति व उनकी पूरी कार्रवाई को निरस्त कर दिया है. इस संबंध में कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी की ओर से जारी आदेश में एकेटीयू के विनियम 2.05 का हवाला देते हुए कहा गया है कि कुलपति को अपने पूर्वाधिकारी के खिलाफ कोई भी जांच कार्यवाही करने का प्रावधान नहीं है. कुलपति के खिलाफ जांच विवि अधिनियम 2000 की धारा 9 (6)व 9 (7)और विनियम 2.04 के तहत कुलाधिपति के स्तर से की जा सकती है, लेकिन तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप मिश्रा ने अपने स्तर से तीन सदस्यीय जांच समिति बनाया जाना विधिक दृष्टि से नियमानुकूल नहीं है. लिहाजा उनके द्वारा गठित जांच समिति व उसकी कार्रवाई को निरस्त किया जाता है.

शिकायत निवारण समिति
इंजीनियरिंग छात्रों को अब नहीं होना पड़ेगा परेशान : डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के छात्रों को अब परेशान नहीं होना पड़ेगा. छात्रों की तमाम समस्याओं का जल्द निराकरण होगा. इसके लिए शिकायत निवारण समिति का गठन किया गया है. समिति के अध्यक्ष के रूप में प्रोफेसर वंदना सहगल को नामित किया गया है. दरअसल विश्वविद्यालय में लगातार शिकायतों को देखते हुए कुलपति ने छात्रों को राहत देने के लिए इस समिति का गठन किया है. कुलपति के निर्देश पर यूजीसी परिनियमावली के तहत विश्वविद्यालय के कुलसचिव जीपी सिंह ने शिकायत निवारण समिति के गठन का आदेश जारी किया है. समिति में अध्यक्ष के अलावा सदस्य भी नामित किए गए हैं. समिति में छात्रों की भी भागदारी देने के लिए आर्किटेक्चर कॉलेज के छात्र विष्णु केसरी को विशेष आमंत्रित के रूप में शामिल किया गया है. समिति के अध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल दो वर्षों का होगा जबकि आमंत्रित सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष होगा. कुलपति प्रोफेसर जेपी पाण्डेय ने कहा कि हमारा प्रयास है कि छात्रों की समस्याओं का निस्तारण समय से हो इसलिए समिति का गठन कर दिया गया है. अब किसी भी छात्र को यदि कोई समस्या होती है तो वह समिति से अपनी शिकायत कर सकता है. यह भी पढ़ें : खेलों में सुधार और बढ़ावा देने के लिए बेहतरीन पहल है खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स

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