लखनऊ : राजधानी के संजय गांधी पीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग (neurology department) में ब्नेन स्ट्रोक के प्रति जागरूकता अभियान (Awareness Campaign) की शुरुआत की गई है. इसके तहत मस्तिष्क की किसी नस में रक्त का प्रवाह ठीक से न होने, नस के फट जाने, ब्लॉकेज की वजह से स्ट्रोक होने की जानकारी दी जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मरीज को समय से इलाज मिल जाए तो उसकी जान बच सकती है. स्ट्रोक का जल्दी पता लगाने और प्रबंधन में प्रगति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस (world stroke day) मनाया जाता है. इस कड़ी में 29 अक्टूबर को न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा न्यूरोलॉजी ओपीडी में अस्पताल प्रशासन विभाग के सहयोग से सार्वजनिक व रोगी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया.
कार्यशाला में बताया गया कि ब्रेन स्ट्रोक भारत और दुनिया में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है. अधिकांश स्ट्रोक ischemic प्रकृति के होते हैं (मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं में रुकावट के कारण) और शेष मस्तिष्क में रक्तस्राव के कारण रक्तस्रावी होते हैं. स्ट्रोक के कई जोखिम कारक हैं. जिनमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, डिस्लिपिडेमिया, मोटापा, तनाव, धूम्रपान और तंबाकू का उपयोग और एक सुस्त जीवन शैली शामिल है. स्ट्रोक के क्षेत्र में हुई नई प्रगति ने मस्तिष्क रक्त वाहिकाओं में रुकावटों को खोलना संभव बना दिया है. रूकावट को क्लॉट बस्टर दवाओं जैसे recombinant tissue plasminogen activator का उपयोग करके अथवा क्लॉट रिट्रीवर्स जैसे उपकरणों की मदद से खोला जा सकता है.