लखनऊ: केजीएमयू में दबे पांव विभागों को बंद करने का खेल चल रहा है. ऐसे में मरीजों को मुश्किलों का सामना पड़ रहा है. अब संक्रामक रोग विभाग भी बंद हो गया है. ऐसे में रेबीज मरीजों के इलाज का एक मात्र सेंटर भी ठप हो गया है.
केजीएमयू में सरकार ने 75 विभागों को मंजूरी दी है. मकसद, सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं का विस्तार करना. इससे न सिर्फ मरीजों को उत्कृष्ट इलाज मिलेगा, बल्कि विभागों में नए कोर्सेस शुरू कर स्पेशलिस्ट तैयार करना रहेगा. मगर, केजीएमयू की लचर कार्यशैली से शासन से मंजूर विभाग वर्षों से नहीं चल पा रहे हैं. साथ ही कई संचालित विभाग, दूसरे विभाग में विलय कर दिए गए. वहीं कुछ पर ताला लग गया. नया मामला, संक्रामक रोग विभाग का है. यहां पहले कोरोना वार्ड बनाया गया था. संक्रामक रोग की टीम इलाज करती रही. वहीं अब यह भवन एनेस्थीसिया विभाग को सौंप दिया गया. यहां सीसीयू बना दिया गया. वहीं संक्रामक रोग विभाग को कहीं जगह नहीं मिली.
तीसरी बार किया गया बंद
राजधानी में पहले डालीगंज में संक्रामक रोग अस्पताल प्रदेश सरकार ने बनाया था. यह प्रदेश का इकलौता संक्रामक रोग अस्पताल है. वर्ष 2002 में सरकार ने अस्प्ताल को केजीएमयू को हैंडओवर कर दिया है. कुछ दिन अस्पताल चलने के बाद बंद कर दिया गया. सरकार की फटकार के बाद 2005 में दोबारा अस्पताल खोला गया. वहीं अस्पताल के भवन को पुराना बताकर तोड़ दिया गया. यहां आवास बनाए जा रहे हैं, इसे कैम्पस के अंदर विभाग के तौर पर चालू किया गया. अब फिर से बंद हो गया है.