उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से बढ़ रहा है वन्यजीवों पर खतरा

राजधानी लखनऊ के बख्शी का तालाब स्थित चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भी 'वन्यजीव दिवस' मनाया गया. कृषि जंतु एवं कीट विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि आज जिस तरह से विश्व के सभी देशों में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है, इससे बहुत से वन्यजीव की प्रजातियां गायब हो गई हैं. कीटनाशकों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.

आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह.
आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह.

By

Published : Mar 3, 2021, 8:03 PM IST

लखनऊ: बुधवार को पूरे विश्व में 'वन्यजीव दिवस' मनाया गया. इसी क्रम में राजधानी लखनऊ के बख्शी का तालाब स्थित चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भी 'वन्यजीव दिवस' मनाया गया.

'वन्यजीव दिवस' पर महाविद्यालय के कृषि जंतु एवं कीट विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि देश के सभी जंतु वैज्ञानिकों और कीट वैज्ञानिकों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर विलुप्त हो रहे वन्यजीवों को संरक्षित करने के लिए एकजुट होने की जरूरत है. आज जिस तरह से विश्व के सभी देशों में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है, इससे बहुत से वन्यजीव की प्रजातियां गायब हो गई हैं.

आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कृषि फसलों, बागानों और सब्जी वाली फसलों को प्रबंधित करने के लिए क्लोरीन युक्त, फास्फोरस युक्त और कार्बामेट युक्त कीट रसायनों का प्रयोग वन्यजीवों के ऊपर बहुत ही घातक सिद्ध हो रहा है. अक्सर देखा जाता है कि पशुपालकों के पशु की यदि मृत्यु हो जाती है तो वह उन्हें खुले स्थान में छोड़ देते हैं, जिसका दुष्परिणाम आज देखने को मिल रहा है. गिद्धों की संख्या निरंतर कम होती चली गई है. वन्यजीवों की संख्या कम होने का मुख्य कारण कीटनाशक का प्रयोग है.

आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पशुओं के मांस में क्लोरीन युक्त और फास्फोरस युक्त रसायनों का अधिक जमाव होता है, जिस कारण इनके मांस को जब पशु-पक्षी खाते हैं तो उनकी प्रजनन दर बिल्कुल कम हो जाती है और धीरे-धीरे उनकी संख्या शून्य में हो जाती है, यह चिंता का विषय है. आज पूरे विश्व में जहां पर गिद्ध की 20 से अधिक प्रजातियां पाई जाती थीं, वहां पर बिल्कुल गायब हो गई हैं. साथ में बहुत सी चिड़ियों की प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं.

आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि आज हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि आने वाले समय में कम से कम रसायनों का प्रयोग करें. गांव और मानव बस्ती के आसपास के पेड़ों को नहीं गिराया जाना चाहिए, क्योंकि यह पक्षियों के लिए उपयुक्त आराम हेतु जगह उपलब्ध कराते हैं. पौधों एवं वनस्पतियों को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे यह संभोग के साथ-साथ प्रजनन व्यवहार को भी प्रभावित कर सकें.

आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि यदि कोई पशु-पक्षी घायल हो जाता है तो उसे तुरंत निकटतम अस्पताल में ले जाकर उसका इलाज करना चाहिए. अनुपयोगी ढंग से अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगना चाहिए. किसान भाइयों को जैविक खेती को बढ़ावा देने पर संस्थानों, विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए तभी वन्यजीव संरक्षण की संकल्पना पूर्ण होगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details