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इस गांव में वर्षों से कुल देवता के रूप में की जाती है डायनासोर के अंडे की पूजा, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा - बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट लखनऊ

बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के शोध में यह बात सामने आई है कि मध्य प्रदेश के धार जिले के पाडल्य गांव में डायनासोर के अंडों को पूजने की परंपरा है. यहां के लोग इस पत्थरनुमा वस्तु को जमीन का भगवान मानकर कुल देवता के रूप में पूजते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 20, 2023, 4:45 PM IST

Updated : Dec 20, 2023, 5:23 PM IST

बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने शोध में किया ऐसा दावा. देखें खबर

लखनऊ : हमारा देश में न केवल प्राकृतिक सुंदरता बल्कि ऐतिहासिक सुंदरता के लिए मशहूर है. यहां पर पुराने समय के कुछ ऐसे अवशेष भी मौजूद हैं. जिन्हें देखकर दुनिया आज भी हैरत में पड़ जाती है. ऐसा ही जगह मध्य प्रदेश के थार जिले में स्थित है जहां पर बीते वर्षों में डायनासोर के अंडे जीवाश्म के रूप में पाए गए. अभी हुए एक शोध में उससे भी चौंकाने वाली बात अभी सबके सामने आया है. जब लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (बीएसआईपी) के डायरेक्टर की अगुवाई में जब टीम वहां पहुंची तो उन्होंने धार जिले के पाडल्य गांव में डायनासोर का अंडा पूजे जाने की जानकारी मिली. जब टीम ने इस डायनासोर के अंडे पर रिसर्च किया तो पाया कि यहां के लोग इस डायनासोर के जीवाश्म अंडे को "काकड़ भैरव" के नाम से सदियों से पूजते चले आ रहे हैं. पाडल्य गांव और उसके आसपास के चार-पांच गांव में इसे कुल देवता के रूप में पूजा जाता है. इसे देखकर जांच कर रही टीम को इसके पीछे की कहानी को जाना और उसे दुनिया के सामने प्रस्तुत करने की तैयारी शुरू कर दी है.

डायनासोर के अंडों की पूजा.


सीपीजीजी-बीएसआईपी के विशेषज्ञों का खुलासा : बीएसआईपी की सीनियर साइंटिस्ट और सेंटर फाॅर प्रीहिस्टोरिक का जो हेरिटेज एंड जिओ टूरिज्म की कन्वीनर डॉ. शिल्पा पांडेय ने बताया कि बीसीपी के डायरेक्टर प्रोफेसर एमजी ठक्कर की अगवाई में एक टीम मध्य प्रदेश के धार जिले पहुंची थी. यहां पर हमने मौजूद डायनासोर जीवाश्म और उससे जुड़ी हुई चीजों को एक पार्क के तौर पर संरक्षित करने का काम कर रहे हैं. जिसकी जिम्मेदारी उन्हें मध्य प्रदेश टूरिज्म विभाग की ओर से दी गई है.

पत्थरनुमा आकृतियां डायनासोर के अंडे.

जीवाश्मों को भू विरासत स्थलों पर संरक्षित करने का काम :वेस्ता मंडलोई के अनुसार न केवल उनके गांव बल्कि आसपास के गांव जैसे तहर ही झाबा, अखाड़ा, जाम्यापूरा और ताकारी गांव में भी लोग इसी पत्थरनुमा आकृति की पूजा करते हैं. डॉ शिल्पा पांडे ने बताया कि वेस्ता मंडलोई से मिली जानकारी के बाद टीम ने पूरे गांव का भ्रमण किया और उन गोल पत्थर आकृति का विश्लेषण शुरू किया तो उन्हें कुछ चौंकाने वाले तथ्यों का पता लगा. विश्लेषण में टीम ने पाया कि ग्रामीण जिस पत्थरनुमा चीज को अपना कुल देवता बात कर उसकी पूजा कर रहे हैं. वह डायनासोर टिटानो-सारस की प्रजाति के जीवाश्म के अंडे हैं. इसके बाद संस्थान के निदेशक एमजी ठक्कर और टीम वही बने डिनों फॉसिल नेशनल पार्क में रख के सभी जीवाश्मों के संरक्षण और संवर्धन क्या रोड मैप तैयार किया. डॉ. शिल्पी के मुताबिक हमारी टीम स्थानीय लोगों को क्षेत्र में जीवाश्म के संरक्षण में बताने के साथ ही जिले को यूनेस्को द्वारा ग्लोबल जियो पार्क के रूप में मान्यता दिलाने की योजना बना रही है. हम सभी जीवाश्मों को भू विरासत स्थलों पर संरक्षित करने का काम कर रहे हैं.

बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का शोध.


डायनासोर के 20 नए घोसले मिले : डॉ. शिल्पा पांडेय ने बताया कि थार जिले के 120 किलोमीटर के क्षेत्र में करीब 256 डायनासोर के अंडों के नेक्स्ट पहले ही पे जा चुके हैं. जून 2023 में 20 और नए डायनासोर के अंडों के घोसले पाए गए हैं जिन्हें अभी पंजीकृत करना बाकी है. यहां के लोगों ने डायनासोर के अंडे पर चेहरे की आकृति बनाई थी वह उसे अपने कुल देवता काकड़ भैरव के रूप में पूजा करते हैं. ग्रामीणों ने बातचीत के दौरान बताया कि इस पत्थरनुमा चीज को अपने खेत की मेड़ पर एक लाइन से लगा देते हैं जो उनके खेतों की सुरक्षा करती है. इसके अलावा दीपावली के अवसर पर ग्रामीण लोग अपने गर्भवती मवेशियों को इस पत्थरनुमा चीज के ऊपर से गुजारते हैं और उसकी विधि विधान से पूजा करते हैं. ऐसा करने के पीछे ग्रामीणों की मान्यता है कि उनके गर्भवती पशु और उसका होने वाला बच्चा दोनों ही स्वस्थ होते हैं. डॉ. शिल्पा ने बताया कि बीएसआईपीइस पार्क को विकसित करने के साथ ही यहां पाए जाने वाली सभी चीजों का डॉक्यूमेंटेशन और 3D प्रिंटिंग तैयार करने में मध्य प्रदेश सरकार की मदद करेगी.

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Last Updated : Dec 20, 2023, 5:23 PM IST

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