लखनऊ:बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ और विज्ञान भारती अवध प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में आज सोमवार को अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव प्रोग्राम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम 'साइंस फॉर सेल्फ-रेलायन्ट इंडिया एंड ग्लोबल वेलफेयर' विषय पर ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से आयोजित किया गया. विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विद्यापीठ के सभागार में गूगल मीट के माध्यम से कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
BBAU में भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ और विज्ञान भारती अवध प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में आज सोमवार को अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव प्रोग्राम का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम के दौरान कुलपति संजय सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य विज्ञान को आमजन तक पहुंचाना और आत्म-निर्भर बनने की दिशा में विज्ञान किस प्रकार सहयोग कर सकता है. इस पर चिंतन करना है. विज्ञान और प्रकृति के बीच तारतम्य स्थापित होना आवश्यक है. आगे उन्होंने कहा कि विज्ञान के बिना आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ना मुश्किल है. क्योंकि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अभियांत्रिकी तीनों के बीच सामंजस्य स्थापित करके ही उत्पादकता की तरफ बढ़ा जा सकता है. उन्होंने विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति रुझान बढ़ाने की सलाह दी और साथ ही यह भी कहा कि अच्छे परिणामों के लिए विद्यार्थियों में धैर्य का होना आवश्यक है. साथ ही उन्होंने विद्यालयों में समावेशी शिक्षा को आगे लेकर चलने का सुझाव दिया.
मुख्य अतिथि ने बताएं किसानों की आय दोगुनी करने के उपाय
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डॉ. पीके त्रिवेदी, डायरेक्टर, सीमैप ने एग्रीटेक से भविष्य में क्या लाभकारी बदलाव लाये जा सकते हैं और किस प्रकार हम विज्ञान के जरिए किसानों की मदद कर सकते हैं इस पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि पर्यावरण में लगातार बदलाव के अनुरूप खेती को बढ़ाना और बंजर जमीनों को किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है. इसके बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है. इस जानकारी का सही उपयोग कर आज किसान अपनी आय को कई गुना बढ़ाने में सफल हुए हैं. उन्होंने जरेनियम पौधे के बारे में बताया जिससे निकले तेल का व्यवसाय काफी बड़ा है. किसान बंजर जमीनों पर भी इस पौधे को उगा कर लाभ कमा रहे हैं. उन्होंने अरोमा मिशन के बारे में भी बताया जिसमें मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों का उपयोग कर तकनीकी की सहायता से अगरबत्ती बनाने का कार्य जारी है. यह प्रयास न सिर्फ कचरा प्रबंधन कर रहा बल्कि लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहा है.
प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. अशोक पांडे ने बताया कि कैसे कचरा प्रबंधन और पुनः प्रयोग के माध्यम से हम अर्थव्यवस्था को आगे ले जा सकते हैं. उन्होंने सर्कुलर इकोनामी के बारे में बताया और कहा कि बायोमास वेस्ट का सही प्रयोग करके अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है. एक बेहतर बिजनेस मॉडल और अच्छी नीति बनाने की जरूरत है जिससे हम बायोमास वेस्ट का अधिकतम उपयोग कर सकें और एक व्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से कचरे का निस्तारण हो. सर्दियों के समय पराली जलाने के कारण जो प्रदूषण होता है इस समस्या को भी एक अवसर के रूप में इस्तेमाल कर उससे उर्वरक बनाये जा सकते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें कचरा प्रबंधन के माध्यम से आय के स्रोतों का सृजन हो सकता है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा.
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