लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का दम भर रही आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनावी बिसात पर एक नया पासा फेंक दिया है. पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी सांसद संजय सिंह बुधवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले. दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बंद कमरे में गुफ्तगू हुई. अचानक हुई इस राजनीतिक घटनाक्रम ने सियासी पारा चढ़ा दिया है. गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है. इस बदले हुए समीकरण से अब आम आदमी पार्टी में अंदरूनी घमासान भी शुरू हो गया है. तनाव सीटों के बंटवारे का है.
असल में, टिकट की आस में कई चेहरे दूसरे राजनीतिक दलों को छोड़कर आम आदमी पार्टी से जुड़े थे. आम आदमी पार्टी की तरफ से 170 विधानसभा सीटों पर विधानसभा प्रभारी/प्रत्याशी के नामों की घोषणा भी कर दी गई थी. पार्टी ने साफ किया था कि इनके चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो दोनों पार्टियों के बीच अगर यह गठबंधन होता है (जो कि बुधवार को लगभग तय हो चुका है) तो आम आदमी पार्टी को प्रदेश में 10 से 12 सीटों पर ही संतुष्टि करनी पड़ सकती है. इसमें भी ज्यादातर सीटें दिल्ली-एनसीआर से जुड़े हुए इलाके साथ कुछ शहरी क्षेत्र की हो सकती हैं.
इन हालातों में उन नेताओं का क्या होगा जो टिकट की आस में आम आदमी पार्टी से जुड़े और चुनाव लड़ने की उम्मीद के साथ महीनों से क्षेत्र में काम कर रहे हैं. इनमें, बुधवार से ही हलचल मची हुई है. आप के उत्तर प्रदेश प्रभारी सांसद संजय सिंह भले ही सीटों के बंटवारे को लेकर चुप्पी साध गए हैं, लेकिन पार्टी के लिए जमीन पर कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं और नेताओं में इसको लेकर काफी बेचैनी है.