लखनऊ:उत्तर प्रदेश के रामपुर में 6 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का पूरे प्रदेश में स्वागत हो रहा है. राजधानी लखनऊ में बच्चियों के साथ दुष्कर्म मामले में इस तरह के फैसले को लेकर लोग सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
छह महीने में दुष्कर्म के आरोपी को मिलेगी फांसी की सजा. लोगों का कहना है कि बच्चियों के साथ दुष्कर्म एक जघन्य अपराध है, जिसकी सजा सिर्फ फांसी होनी चाहिए. कोर्ट ने इस तरीके का फैसला दिया है, जिससे अपराधियों में भय व्याप्त होगा और बच्चियों के साथ दुष्कर्म व हत्या जैसी घटनाओं पर लगाम लगेगी.
6 महीने के अंदर दी गई फांसी की सजा
महिलाओं व बच्चियों के साथ दुष्कर्म के कानून में संशोधन के बाद गैंगरेप व पॉस्को एक्ट के तहत फांसी की सजा सुनाई जा सकती है, जिसके तहत रामपुर में फांसी की सजा आरोपी को दी गई है. इस फैसले में सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि यह फैसला कोर्ट ने 6 महीने के अंदर दिया है. उत्तर प्रदेश में पॉस्को एक्ट के तहत 6 महीने में फांसी की सजा का यह पहला मामला है. हालांकि उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में पॉस्को एक्ट के तहत पहले भी फांसी की सजा दी जा चुकी है.
दुष्कर्म मामले में होती है मृत्युदंड की सजा
रामपुर में बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में फांसी की सजा को लेकर ईटीवी भारत ने यूपी राज्य अभियोजन अधिकारी सेवा संघ के अध्यक्ष अवधेश सिंह से बातचीत की. अवधेश सिंह ने वर्ष 2013 व 18 में हुए संशोधन के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई और बताया कि धारा 376 ए, 376 एबी, 376 डीबी, 376 ई के तहत बच्चियों के साथ दुष्कर्म व सामूहिक दुष्कर्म जैसे अपराध में मृत्युदंड की तक की सजा दी जाती है.
लोगों की बढ़ी उम्मीदें
उन्होंने बताया कि कानून में बदलाव के बाद रामपुर में इस तरह का फैसला लिया गया है, जिससे लोगों की उम्मीद बढ़ी है. इस फैसले से समाज में सीधा संदेश जाएगा और अपराधी ऐसी घटनाओं को अंजाम देने से पहले जरूर सोचेंगे. ऐसे मामलों में सजा देने में वर्षों का समय लग जाता था, लेकिन फास्ट ट्रैक कोर्ट व कोर्ट की सक्रियता के चलते कम समय में पीड़िता को न्याय मिला है.
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समय पर न्याय मिले, इस ओर प्रयास करना चाहिए
महिलाओं के लिए काम करने वाली समाजसेवी उषा विश्वकर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि रामपुर की कोर्ट ने बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या के आरोपी के खिलाफ जो फैसला लिया है, वह स्वागत योग्य है, लेकिन अभी भी महिलाओं को समय से न्याय दिलाने के लिए काम करने की जरूरत है. सिर्फ एक मामले में समय से न्याय मिल जाने से खुश होने की जरूरत नहीं है. हर पीड़ित को समय पर न्याय मिले इस और प्रयास होने चाहिए.