लखनऊ: लोहिया संस्थान के 9 कर्मचारियों को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा कार्यमुक्त करने के विरोध में कर्मचारी नेताओं ने शनिवार को लोहिया के निदेशक के कार्यालय के सामने धरना देने की चेतावनी दी. इस बीच प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार, सचिव सौरभ बाबू के हस्तक्षेप के बाद लोहिया संस्थान के निदेशक ने कर्मचारी नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया. उन्होंने कहा कि राजभवन में एक अनिवार्य बैठक होने के कारण सोमवार को मामले का निस्तारण कर दिया जाएगा. इस सम्बंध में शासन को पत्र भी भेजा गया है.
4 अक्टूबर 2019 को हुआ था समझौता
महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि 1 जून को निदेशक डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान गोमती नगर लखनऊ द्वारा डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में विलय से पहले कार्यरत कर्मचारियों जिनका प्रतिनियुक्ति पर तैनाती नहीं हो पाई थी. संस्थान की गलती के कारण उनके पे-बैंड या तो गलत हो गए थे या उनकी शैक्षिक योग्यता गलत बताई गई थी. इसलिए वह प्रतिनियुक्ति पर तैनात नहीं हो पाए थे और उनको शासन द्वारा संबद्ध कर दिया गया था. इस संबंध में 4 अक्टूबर 2019 को रजनीश दुबे प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा के कक्ष में प्रशान्त त्रिवेदी प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, डॉ. पदमाकर सिंह, महानिदेशक स्वास्थ्य, डॉ. केके गुप्ता महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा, डॉ. एके त्रिपाठी निदेशक राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, डॉ. डीएस नेगी निदेशक राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय, राष्ट्रीय अध्यक्ष इप्सेफ वीपी मिश्रा, डॉ. अतुल मिश्रा महामंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और लोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ समझौता हुआ था. बचे हुए कर्मचारियों को अतिशीघ्र जो कमियां हैं उनको दूर कराकर प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने के निर्देश निदेशक डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान को दिया था, जिसका अनुपालन भी किया गया.