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आलोचनाओं को दरकिनार कर स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए ब्रजेश पाठक को जारी रखने होंगे प्रयास - Analysis of UP Bureau Chief Alok Tripathi

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई तो उन्हें अस्पतालों में व्यवस्था का जायजा लेने के लिए एक आम रोगी की तरह देखा गया. कई बार देर रात ट्रामा सेंटर व अन्य अस्पतालों के दौरे करते दिखे. इसके बावजूद विधानमंडल सत्र के दौरान विपक्ष ने कई तरह के आरोप जड़े. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

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Published : Aug 14, 2023, 7:48 PM IST

लखनऊ : प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक अपने पिछले कार्यकाल से ही खासे चर्चा में रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद जिस तरह से उन्होंने चिकित्सा सेवाओं में सुधार को लेकर ताबड़तोड़ अस्पतालों के दौरे किए. लापरवाह चिकित्सकों और कर्मचारियों पर खूब कार्रवाई भी हुई. कई बार उन्हें अस्पतालों में व्यवस्था का जायजा लेने के लिए एक आम रोगी की तरह देखा गया तो तमाम मौकों पर देर रात ट्रामा सेंटर व अन्य अस्पतालों के दौरे करते देखे गए. बावजूद इसके मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को उनके प्रयास दिखाई ही नहीं देते. विधानसभा के मानसून सत्र में वह चिकित्सा सेवाओं को लेकर खामियों की फेहरिस्त लेकर आए थे. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि 25 करोड़ की आबादी वाले देश के सबसे बड़े राज्य में व्यवस्थाएं रातों रात नहीं बदल सकती हैं. सतत प्रयास करने पर भी इसके लिए लंबा समय तय करना होगा जो लोग चिकित्सा व्यवस्था की खामियां गिनाते हैं, वह भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं.

स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए ब्रजेश पाठक के प्रयास.
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए ब्रजेश पाठक के प्रयास.




हाल ही में संपन्न हुए विधानमंडल के मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य विभाग के मुखिया ब्रजेश पाठक को लेकर मुखर थे. अखिलेश यादव ने अपने भाषण में सरकार पर खूब आरोप लगाए. अखिलेश ने कहा कि सरकार सरकारी अस्पतालों को इसलिए अच्छी तरह से नहीं चला रही है, क्योंकि वह इन्हें निजी हाथों में देना चाहती है. उन्होंने मेडिकल कॉलेज पीपीपी मॉडल पर प्राइवेट सेक्टर में देने की मंशा का विषय उठाते हुए कहा कि 15 सीएचसी को भी निजी हाथों में दिया जा रहा है. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को उन्होंने छापामार मंत्री की संज्ञा दी. पाठक की उम्र और लंबाई तक पर टिप्पणी की गई जो दर्शाता है कि तथ्यों के अभाव में ही ऐसी बातें की जाती हैं. उन्होंने अस्पताल में कुत्ते और सांड घुसने की घटनाओं का जिक्र करते हुए सरकार की नाकामी गिनाने का प्रयास किया. जिला अस्पताल में बेड फुल होने का विषय भी उठाया. इसका मतलब है कि रोगी सरकारी अस्पतालों में इसीलिए जा रहे हैं कि उन्हें उचित इलाज मिल रहा है. अखिलेश अपने कार्यकाल का बखान करना भी नहीं भूले. अखिलेश यादव अपने भाषण में प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था में कोई खास खामी नहीं गिना पाए.

स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए ब्रजेश पाठक को जारी रखने होंगे प्रयास.


यदि डिप्टी सीएम और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक की बात करें तो वह अपने तरीके से लगातार सेवाओं में सुधार के लिए प्रयासरत दिखाई दिए हैं. यदि उनके द्वारा उठाए गए कदमों की बात करें तो उन्होंने लगातार लापरवाह चिकित्सकों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते रहे हैं. उन्होंने ड्यूटी से लंबे वक्त से नदारद तमाम चिकित्सकों को बर्खास्त भी किया है. ऐसे दर्जनों प्रकरण सामने आए हैं, जिनमें ब्रजेश पाठक ने आरोपियों के खिलाफ जांच कराई है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी की है. बावजूद इसके यदि ऐसे नेता की आलोचना होती है तो ऐसा करने वाले नेता को भी अपने अतीत में झांकना होगा. जिस तरह की अव्यवस्थाओं का सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिक्र किया, वैसी अव्यवस्थाएं सभी सरकारों में देखी जाती रही हैं. हां, आदर्श स्थिति की कल्पना और उसे धरातल में उतारने के प्रयास तो किए ही जाने चाहिए. संभवत: वह प्रयास इस सरकार में किए भी जा रहे हैं. यदि पिछले दो दशकों की बात करें तो विभिन्न सरकारों में प्रदेश के कितने स्वास्थ्य मंत्री होंगे, जो लोगों को इसलिए याद हैं कि वह लोगों के लिए सदा तत्पर रहे और सेवाओं में सुधार के लिए नियमित रूप से अस्पतालों के दौरे करते रहे. हालांकि सभी जानते हैं कि राजनीति में समालोचना अब नदारद हो चुकी है. अच्छे को अच्छा अब कोई भी कहने का साहस नहीं करता हैं. हां, अच्छे को भी बुरा कहने की होड़ हर तरह नजर आती है.

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