लखनऊ : नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद योगी सरकार और बीजेपी प्रदेश संगठन पूरी तरह से चुनावी मोड में है. निकाय चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने को लेकर सोमवार को एक उच्च स्तरीय महत्वपूर्ण बैठक मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित की गई. इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह, महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह सहित योगी सरकार के सभी कैबिनेट मंत्री राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार व अन्य राज्य मंत्री उपस्थित हुए.
बैठक में नगर निकाय चुनाव में जीत दर्ज करने को लेकर सरकार और संगठन के स्तर पर तमाम तरह के अभियान कार्यक्रम चलाए जाने पर चर्चा की गई. साथ ही पार्टी सरकार ने इस बात पर मंथन किया कि निकाय चुनाव में अच्छी जीत के लिए पहले के ही उम्मीदवारों पर ही फोकस किया जाएगा और उसको लेकर एक रणनीति बनाई गई है. पार्टी के जिला पदाधिकारी, विधायक, सांसद के परिवारीजन भी अगर चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक हैं तो उन्हें भी पार्टी चुनाव लड़ने में परहेज नहीं करेगी.
महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा :दरअसल, भारतीय जनता पार्टी निकाय चुनाव में अच्छी जीत दर्ज करने और हार के डर के कारण परिवारवाद से भी परहेज नहीं करेगी. पार्टी की पूरी कोशिश है कि जहां जिस सीट पर अच्छे और जीत दिलाने वाले उम्मीदवार होंगे उन पर फोकस करते हुए उन्हें प्रत्याशी बनाया जाएगा. इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में सरकार और संगठन में बेहतर तालमेल के साथ निकाय चुनाव लड़ने अच्छे उम्मीदवारों के चयन और तमाम अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की. पहले चरण के चुनाव के लिए मंगलवार से जिलों में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी. ऐसे में जिला स्तर पर जल्द से जल्द बैठक करते हुए उम्मीदवारों के नाम के पैनल क्षेत्रीय कार्यालय और प्रदेश कार्यालय भेजे जाने की बात कही गई. पहले चरण में जिन जिलों में चुनाव होना है वहां दो से तीन दिनों में उम्मीदवार घोषित करने को लेकर विस्तार से चर्चा हुई.
उम्मीदवारों के चयन करने पर चर्चा : कहा गया कि जिन सीटों पर अच्छे और जीत दिलाने वाले उम्मीदवार हैं, उनकी सामाजिक और जाति समीकरण ज्यादा बेहतर है, उन्हें चुनाव मैदान में उतारा जाए. पूर्व के अनुभवों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने विधायक, सांसदों के परिवारीजनों और जिला पदाधिकारियों को भी नगर निकाय चुनाव में उतारने पर सहमति बनाई है. पूर्व में पंचायत चुनाव व नगर निकाय चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों, सांसद, विधायकों के तमाम परिजनों ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था. पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ बगावत करके चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी की स्थिति भी काफी कमजोर हुई थी. कई जगहों पर बागी उम्मीदवार चुनाव भी जीते और बाद में फिर पार्टी में वापस आ गए थे. ऐसे तमाम अनुभवों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी जिताऊ उम्मीदवारों पर पूरा फोकस कर रही है और इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ-साथ अन्य संगठनों के साथ फीडबैक लेते हुए जाति समीकरण बैठने वाले उम्मीदवारों के चयन करने पर बैठक में चर्चा की गई.
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