लखनऊ: बीजेपी के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर पिछले काफी समय से नाराज हैं. अपने बयानों से योगी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने पिछड़ा वर्ग विभाग मुख्यमंत्री को वापस करने की पेशकश की थी, जिसे सीएम योगी ने वापस कर दिया.
दरअसल बीजेपी ओमप्रकाश राजभर को किसी भी कीमत पर नाराज नहीं होने देना चाहती है. बीजेपी को डर है कि अगर ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया तो बीजेपी की सियासी राह काफी कांटों भरी हो सकती है. यही कारण है कि बीजेपी ओमप्रकाश राजभर को लेकर न कोई बड़ा फैसला कर पा रही है और नी ही उन्हें पूरी तरह से संतुष्ट कर पा रही है.
सवाल यह है कि अगर ओमप्रकाश राजभर लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का साथ छोड़ देते हैं तो यह उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की करीब एक दर्जन महत्वपूर्ण सीटों पर बीजेपी को बड़ा सियासी नुकसान हो सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी भी राजभर की नाराजगी से फंस सकती है.
इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह राजभर समाज का बीजेपी के पक्ष में ना होना हो सकता है. राजभर समाज की नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है. अगर ओमप्रकाश राजभर बीजेपी का साथ छोड़ते हैं तो स्वाभाविक रूप से पूर्वांचल की तमाम सीटों में राजभर बहुल वोटों वाले स्थानों पर पार्टी को नुकसान हो सकता है.
मुख्य रूप से पूर्वांचल की जिन प्रमुख सीटों में राजभर और अधिक है उनमें वाराणसी, चंदौली, बलिया, देवरिया कुशीनगर, आजमगढ़ सहित कई सीटें हैं, जहां राजभर अधिक हैं. वह बीजेपी को नुकसानदायक साबित हो सकते हैं. तो यही कारण है कि बीजेपी ओम प्रकाश राजभर को लेकर कोई बड़ा फैसला नहीं कर पा रही है और उनकी जो मांगे हैं या सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने की बात है उस पर गंभीर हो गई है.
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर गठबंधन दल के सहयोगी हैं. उनका सम्मान है, लेकिन अगर वह अलग होंगे तो बीजेपी को इससे कोई नुकसान नहीं होगा पार्टी अपने हिसाब से चुनाव लड़ेगी.