हैदराबाद : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही निषाद समाज और उसका प्रतिनिधित्व करने वाली निषाद पार्टी यहां की राजनीति के केंद्र में आ गई है. शुक्रवार (17 दिसंबर) को लखनऊ में होने जा रही इसकी रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहुंच रहे हैं, ऐसे में बाकी राजनीतिक पार्टियों की निगाहें भी इस पर टिकी हैं.
उत्तर प्रदेश और बिहार के 17 ओबीसी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाली इस पार्टी के मुखिया संजय निषाद को भाजपा किसी भी स्थिति में नाराज नहीं करना चाहती है, तो वहीं अन्य विपक्षी पार्टियां भी डोरे डालने में जुटी हैं. सियासी समीकरणों को मजबूत करने में जुटी भाजपा निषाद समाज की अहमियत को समझ चुकी है. यही वजह है कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने निषाद पार्टी के साथ हाथ मिला लिया है. इसकी बड़ी वजह यह है कि 403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में 165 सीटों पर इनका दबदबा है. यहां करीब 60 सीटों पर तो निषाद समाज निर्णायक स्थिति में है. संजय निषाद पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर हैं और निषाद NISHAD (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) पार्टी का वर्ष 2015 में गठन किया था.
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निषाद समाज का वोट 18 प्रतिशत
वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश में निषाद समाज का वोट करीब 18 प्रतिशत है. यहां की 165 विधानसभा सीटें निषाद बाहुल्य हैं, जिसमें प्रत्येक विधानसभा में 90 हजार से एक लाख तक वोटर हैं और बाकी विधानसभा में 25 हजार से 30 हजार तक इसी समाज के वोटर हैं. भदोही सदर में करीब 65 हजार निषाद समाज का वोट है. जनपद भदोही के विधानसभा जौनपुर में एक लाख 25 हजार निषाद मथुआ समाज का वोट है. औराई विधानसभा जनपद भदोही में 85 हजार निषाद मथुआ समाज और हंदीआ विधानसभा में 95 निषाद समाज का वोट है.
ये हैं निषाद बाहुल्य जिले
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, संत कबीर नगर, मऊ, मिर्जापुर, वाराणसी, भदोही, इलाहाबाद, फतेहपुर और पश्चिम के कुछ जिलों में निषादों की अच्छी खासी आबादी है. कई सीटों पर ये जीत-हार तय करते हैं. इसलिए सभी दलों की नजर निषाद वोटों पर रहती है. इनकी रहनुमाई का दावा निषाद पार्टी करती है. इस वोट बैंक को साधने के लिए अन्य दलों ने इस समाज के नेताओं को पार्टी में जगह दी है. जैसे भाजपा ने जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा भेजा है. वहीं सपा ने विश्वभंर प्रसाद निषाद को राज्यसभा भेजा है तो राजपाल कश्यप को पिछड़ा वर्ग मोर्चे का प्रमुख बनाया है. निषादों को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस ने इस साल के शुरुआत में नदी अधिकार यात्रा भी निकाली थी.
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