लखनऊ. नगर निगम ने पिछले दस सालों से अपने कई ठेकेदारों के बिलों का भुगतान नहीं किया है. दीपावली और दूसरे त्यौहार सिर पर हैं. ऐसे में अब ये ठेकेदार निगम से अपने बकाए की जल्द से जल्द मांग कर रहे हैं. इसके लिए निगम अधिकारियों को बुधवार तक का समय भी दे रखा है. भुगतान न होने पर 22 अक्टूबर से काम बंद करने की चेतावनी दी है. ईटीवी भारत ने मामले की पड़ताल की. एक रिपोर्ट..
पिछले दस सालों से शहर में नाली खड़ंजा बनाने वाले ठेकेदारों में से अधिकतर को नगर निगम ने भुगतान नहीं किया है. इनमें कई ऐसे ठेकेदार हैं जिन्होंने वर्ष 2011-12, 2013-14, और 2016-17 में शहर के अंदर निर्माण कार्य कराएं हैं. इनमें से कई के भुगतान अभी तक फंसे हुए हैं.
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि करीब 250 करोड़ का भुगतान बकाया है. वहीं कुछ ठेकेदारों ने बताया कि लखनऊ नगर निगम में कमीशन का खेल चल रहा है. अगर कोई ठेकेदार काम पूरा भी कर देता है, तब भी 10 से 12 फीसदी तक कमीशन तय है. इसके अलावा जैसा काम, वैसा कमीशन तय है.
कमीशन के अलावा फाइल खर्च के नाम पर वसूली की जाती है. एक आम ठेकेदार 15 से 20% कमीशन देता है. इसमें कुछ बड़े स्तर के लोगों का भी नाम शामिल है. जानकारों की मानें तो लखनऊ नगर निगम से पैसे निकालना आसान काम नहीं है. बता दें कि वर्तमान में निगम में कुल पंजीकृत ठेकेदारों की संख्या करीब 400 के आसपास है. कई वर्षों से भुगतान न होने से ये परेशान नगर निगम के इन ठेकेदारों ने 22 अक्टूबर से काम बंद करने की चेतावनी दी है.
ठेकेदारों ने खड़े किए अपने हाथ
निगम की ओर से 14 नवंबर तक सभी पैच वर्क के साथ निर्माण पूरे करने पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में ठेकेदारों ने पैसा न होने का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिए हैं. कॉन्ट्रैक्टर वेल्फेयर एसोसिएशन के बैनर तले एकजुट ठेकेदारों ने भुगतान न किए जाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है.
कमीशनखोरी को लेकर विवादों में रहा है नगर निगम
यह पहली बार नहीं है जब लखनऊ नगर निगम में कमीशनखोरी को लेकर विवाद सामने आ रहे हैं. इससे पहले भी कई बार अंगुलियां उठ चुकी हैं. हालांकि, सबकुछ जानने के बाद भी जिम्मेदार खामोश हैं. हाल ही में ऐसे कई प्रकरण सामने आए हैं जो नगर निगम के भ्रष्टाचार को साबित करते हैं -
प्रकरण 1 - बीते जुलाई-अगस्त में नगर निगम में कमीशनखोरी को लेकर एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसमें एक एनजीओ को काम दिलाने के एवज में 20 प्रतिशत तक कमीशन का जिक्र किया गया. ऑडियो को लेकर नगर आयुक्त का नाम भी जोड़ने की कोशिश की गई. करीब 28 दिन बाद नगर आयुक्त के निजी सचिव की ओर से इस प्रकरण में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी.
प्रकरण 2 - बीते 24 जनवरी के आसपास जोन छह में टेंडर में कमीशन को लेकर पार्षद और ठेकेदारों में कहासुनी हो गई. अधिकारी लगातार मामले को दबाते रहे.
प्रकरण 3 - बीते नवंबर 2020 में 14वें वित्त आयोग की राशि से हुए विकास कार्यों के भुगतान करने की पत्रावली को दबाए रखने के आरोप में नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने लेखा विभाग में तैनात लेखाकार एसके गुप्ता और प्रथम श्रेणी लिपिक रजनीश सक्सेना को निलंबित किया था. दोनों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए. यह फाइल पच्चीस दिनों से लिपिक और लेखाकार अपनी अलमारी में रखे थे. आरोप है कि ये ठेकेदारों से कह रहे थे कि नगर आयुक्त भुगतान की पत्रावली पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं.
प्रकरण 4 - अगस्त 2020 में नगर निगम में जोन आठ के अधिसाशी अभियंता डीडी गुप्ता पर कार्रवाई की गई थी. इनका और एक ठेकेदार के बीच बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ था. इस वायरल ऑडियो में सात फाइलों से संबंधित बातें हुईं थीं. दोनों के बीच नगर निगम में ठेकेदारी से जुड़ी फाइलों पर कमीशनखोरी की बातें रिकॉर्ड हुई थी. नगर निगम मुख्यालय ने वायरल ऑडियो को संज्ञान में लिया और कार्रवाई की गई.