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20 साल से खुद को जिंदा साबित करने के लिए कानूनी संघर्ष कर रहे संतोष मूरत सिंह, सीएम आवास से पुलिस ने भगाया

बनारस के छितौनी चौबेपुर के रहने वाले संतोष मूरत सिंह 2003 से राजस्व अभिलेखों में मृत घोषित हो चुके हैं. वह तब से लेकर अब तक लगातार धरना प्रदर्शन आंदोलन कर रहे हैं. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक धरना प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को पत्र भेजकर उन्होंने खुद के जिंदा होने के सुबूत भी भेजे हैं, लेकिन अब तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है.

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Published : Jul 19, 2023, 6:24 PM IST

20 साल से खुद को जिंदा साबित करने के लिए कानूनी संघर्ष कर रहे संतोष मूरत सिंह. देखें खबर

लखनऊ : वाराणसी के छितौनी गांव के रहने वाले संतोष मूरत सिंह पिछले 20 साल से खुद के जिंदा होने का दावा करते हुए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. मैं जिंदा हूं की तख्ती लेकर संतोष मूरत सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए राजधानी लखनऊ पहुंचे, लेकिन मुख्यमंत्री आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें वहां से भगा दिया. संतोष मूरत सिंह को राजस्व अभिलेखों में मृत घोषित कर दिया गया है. मुख्यमंत्री आवास से भगाए जाने के बाद हजरतगंज स्थित जीपीओ के पास संतोष मूरत सिंह ने धरना दिया

संतोष मूरत सिंह.

संतोष मूरत सिंह का कहना है कि वाराणसी के तहसीलदार सदर द्वारा उनके साथ मारपीट की गई. जिसकी शिकायत लेकर मुख्यमंत्री से मिलने जनता दरबार में आए थे, लेकिन यहां भी उनके साथ अभद्रता की गई. पुलिसकर्मियों ने उन्हें मारपीट कर भगा दिया. ऐसे में अब कहां जाएं और किस से न्याय की गुहार लगाएं. उन्होंने तहसीलदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है.

खुद को जिंदा साबित करने के लिए कानूनी संघर्ष.


वाराणसी के छितौनी गांव के रहने वाले संतोष मुरत सिंह फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर के यहां रसोइए का काम करते थे. वर्ष 2003 में उन्हें पता चला कि उनके गांव में उनके परिवारीजनों ने उन्हें राजस्व अभिलेखों में मृत घोषित कर दिया है और उनकी तेरहवीं भी हो रही है. वह गांव पहुंचे तो पता चला कि उनके परिजनों ने जमीन हड़पने के लिए परिवारीजन अजय सिंह, नारायण सिंह ने रिश्तेदारों के साथ मिलकर उन्हें मृत घोषित कर दिया और इसको लेकर बकायदा हलफनामा भी दिया गया. तबसे लेकर अब तक संतोष मूरत सिंह खुद के जिंदा होने की लड़ाई लड़ रहे हैं. कई बार पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया और उन्हें जेल भी भेजा, लेकिन राजस्व अभिलेखों में वह अभी भी मरे हुए हैं और जिंदा घोषित किए जाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.


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