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'लड़की हूं-लड़ सकती हूं' का नारा हुआ फ्लॉप, जनता को अब पसंद नहीं है कांग्रेस - security of women candidates forfeited

लड़की हूं लड़ सकती हूं. कांग्रेस पार्टी का यह नारा चुनाव के दौरान खूब चला. यही नहीं, इस नारे ने उत्तरप्रदेश की महिलाओं में जोश भी भरा. इस नारे के बाद तो ऐसा लगने लगा मानों कांग्रेस इस चुनाव में कुछ बड़ा करिश्मा कर दिखाएगी. हालांकि हुआ इसके बिल्कुल उलट. चुनाव में कांग्रेस की महिला ब्रिगेड अपना दमखम नहीं दिखा पाईं और चारो खाने चित्त हो गई.

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Published : Mar 12, 2022, 3:37 PM IST

लखनऊ. प्रियंका गांधी वाड्रा के 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे ने प्रदेश के चुनाव में खूब सुर्खियां बटोरीं. कांग्रेस पार्टी को उम्मीद थी कि इस बार वो कुछ नया कर दिखाएगी. प्रियंका गांधी के साथ खड़ी भीड़ को भी देखकर ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस इस बार कड़ी टक्कर देगी. इसी जोश में पार्टी ने भी 403 में से 399 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए. साथ ही 40 फीसदी महिलाओं को भी टिकट बांटे लेकिन हाल वही ढाक के तीन पात रहा. उसके 387 प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गईं.

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दिलचस्प बात ये रही कि प्रियंका गांधी ने जिन लड़कियों को राजनीति बदलने के लिए चुनाव मैदान में उतारा था, उन लड़कियों को जनता ने पूरी तरह नकार दिया. कांग्रेस पार्टी के 97 फीसदी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. कई विधानसभाओं में तो कांग्रेस प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट मिले. राजनीति बदलने आईं प्रियंका को भी अब पार्टी के पतन का कारण ढूंढे नहीं मिल रहा है.

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जनता को अब कांग्रेस 'पसंद' नहीं

उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के ख्वाब देख रही कांग्रेस पार्टी को जनता से समर्थन नहीं मिला. जनता ने साबित कर दिया कि कांग्रेस पार्टी अब उसकी पसंद नहीं है. पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने इस चुनाव में अपने सलाहकारों की सलाह पर एनजीओ की तरह पार्टी चलाई. उसका नतीजा यह हुआ कि शिखर पर पहुंचने का ख्वाब देखने वाली कांग्रेस पार्टी 'शून्य' पर आकर टिक गई.

थोड़ी बहुत पार्टी की लाज दो उम्मीदवार ही बचा सके. इनमें से एक सीट है प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट. यह कांग्रेस के परंपरागत सीट बन गई है. यहां से आराधना मिश्रा मोना ने जीत दर्ज की तो दूसरी तरफ महाराजगंज के फरेंदा से वीरेंद्र चौधरी ने कांग्रेस का झंडा बुलंद किया. इसके अलावा सभी प्रत्याशियों ने प्रियंका गांधी की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया.

'लड़की हूं-लड़ सकती हूं' के नारे ने किया निराश

40 फीसदी महिलाओं को टिकट देकर 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे के तहत प्रियंका गांधी ने कुछ करिश्मा कर दिखाने का जो ख्वाब दिखाया था, वे सभी ख्वाब बुरी तरह चकनाचूर हो गए. पांच विभूतियों जिन पर प्रियंका गांधी को बहुत भरोसा था, उन सभी ने बुरी तरह से निराश किया. सभी पूरी तरह फ्लॉप हो गईं. पंखुड़ी पाठक को 13 हजार 494, अर्चना गौतम 1519, आशा सिंह 1544, पूनम पंडित 2888 और नेहा तिवारी 2670 वोट ही मिल पाए.

पंखुड़ी पाठक की पंखुड़ियां 'बिखर' गईं

आलम यह है कि कांग्रेस की स्टार प्रचारकों में शुमार पंखुड़ी पाठक पूरी तरह भाजपा प्रत्याशी पंकज सिंह के आगे बिखर गईं. खास बात यह है कि पंखुड़ी पाठक के लिए राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी रोड शो भी करने उतरीं.

घर-घर जाकर वोट भी मांगे. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल भी उनका हाथ पकड़ कर आगे बढ़े. सचिन पायलट भी मैदान में उतरे. शशि थरूर भी आए लेकिन जब नतीजे आए तो पंखुड़ी का चेहरा खिलने के बजाय मुरझा गया. यहां पर फिर से कमल खिला. सिर्फ 13 हजार 494 वोट ही पंखुड़ी पाठक को मिले और वह अपनी जमानत तक न बचा पाईं.

बिकिनी स्टार भी हुई फेल

इसके अलावा हस्तिनापुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बिकिनी स्टार अर्चना गौतम के लिए प्रियंका गांधी ने पूरी ताकत झोंक दी. इस प्रत्याशी के पक्ष में प्रियंका ने जमकर प्रचार-प्रसार किया लेकिन जब नतीजे आए तो अर्चना का ख्वाब तो टूटा ही प्रियंका भी अपने फैसले पर पछता रही हैं. बिकिनी स्टार को सिर्फ 1519 वोट ही मिले और जमानत जब्त हो गई.

उन्नाव रेप पीड़िता की मां को मिले सिर्फ 1544 वोट

उन्नाव रेप पीड़िता की मां को भी प्रियंका गांधी ने टिकट देकर एक बड़ा दाव केला था. टिकट देने के समय तो सुर्खियां खूब बटोरीं लेकिन जब नतीजे आए तो प्रियंका खुद चौंक गईं. उन्नाव की जनता ने आशा सिंह को सिर्फ 1544 ही वोट दिए और उनकी जमानत जब्त करा दी.

इसके अलावा किसान आंदोलन से चर्चा में आईं सपना चौधरी की बाउंसर पूनम पंडित को भी कांग्रेस पार्टी आगे लाईं. स्याना से उन्हें चुनाव मैदान में उतारा. प्रियंका गांधी की पूनम पंडित चहेती बन गईं लेकिन नतीजे आए तो इस बाउंसर की एक भी न चली. सिर्फ 2888 वोट ही पूनम पंडित को मिल सके. वह जमानत जब्त करा बैठीं.

इसके अलावा जेल में बंद खुशी दुबे को लेकर कांग्रेस पार्टी ने राजनीति शुरू की. पहले खुशी दुबे की मां गायत्री तिवारी को पार्टी ने टिकट दिया लेकिन फिर उनकी जगह बहन नेहा तिवारी को टिकट देकर कानपुर के कल्याणपुर सीट से मैदान में उतारा लेकिन हश्र ये हुआ कि उनकी भी जमानत जब्त हो गई. उन्हें सिर्फ 2670 वोट ही मिले.

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