लखनऊ. प्रियंका गांधी वाड्रा के 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे ने प्रदेश के चुनाव में खूब सुर्खियां बटोरीं. कांग्रेस पार्टी को उम्मीद थी कि इस बार वो कुछ नया कर दिखाएगी. प्रियंका गांधी के साथ खड़ी भीड़ को भी देखकर ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस इस बार कड़ी टक्कर देगी. इसी जोश में पार्टी ने भी 403 में से 399 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए. साथ ही 40 फीसदी महिलाओं को भी टिकट बांटे लेकिन हाल वही ढाक के तीन पात रहा. उसके 387 प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गईं.
दिलचस्प बात ये रही कि प्रियंका गांधी ने जिन लड़कियों को राजनीति बदलने के लिए चुनाव मैदान में उतारा था, उन लड़कियों को जनता ने पूरी तरह नकार दिया. कांग्रेस पार्टी के 97 फीसदी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. कई विधानसभाओं में तो कांग्रेस प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट मिले. राजनीति बदलने आईं प्रियंका को भी अब पार्टी के पतन का कारण ढूंढे नहीं मिल रहा है.
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जनता को अब कांग्रेस 'पसंद' नहीं
उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के ख्वाब देख रही कांग्रेस पार्टी को जनता से समर्थन नहीं मिला. जनता ने साबित कर दिया कि कांग्रेस पार्टी अब उसकी पसंद नहीं है. पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने इस चुनाव में अपने सलाहकारों की सलाह पर एनजीओ की तरह पार्टी चलाई. उसका नतीजा यह हुआ कि शिखर पर पहुंचने का ख्वाब देखने वाली कांग्रेस पार्टी 'शून्य' पर आकर टिक गई.
थोड़ी बहुत पार्टी की लाज दो उम्मीदवार ही बचा सके. इनमें से एक सीट है प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट. यह कांग्रेस के परंपरागत सीट बन गई है. यहां से आराधना मिश्रा मोना ने जीत दर्ज की तो दूसरी तरफ महाराजगंज के फरेंदा से वीरेंद्र चौधरी ने कांग्रेस का झंडा बुलंद किया. इसके अलावा सभी प्रत्याशियों ने प्रियंका गांधी की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया.
'लड़की हूं-लड़ सकती हूं' के नारे ने किया निराश
40 फीसदी महिलाओं को टिकट देकर 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे के तहत प्रियंका गांधी ने कुछ करिश्मा कर दिखाने का जो ख्वाब दिखाया था, वे सभी ख्वाब बुरी तरह चकनाचूर हो गए. पांच विभूतियों जिन पर प्रियंका गांधी को बहुत भरोसा था, उन सभी ने बुरी तरह से निराश किया. सभी पूरी तरह फ्लॉप हो गईं. पंखुड़ी पाठक को 13 हजार 494, अर्चना गौतम 1519, आशा सिंह 1544, पूनम पंडित 2888 और नेहा तिवारी 2670 वोट ही मिल पाए.