लखनऊ: यूं तो मां के दूध को नवजात शिशुओं के लिए अमृत माना जाता है, पर हर नवजात शिशु को मां का दूध मिल पाना कभी-कभी संभव नहीं हो पाता हैं. ऐसे में कुछ महीनों पहले किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ह्यूमन मिल्क बैंक की स्थापना की गई थी. स्थापना के बाद कई ऐसे बच्चों को नया जीवन मिला जिनको किसी वजह से मां का दूध नहीं मिल पा रहा था.
कुछ सहयोगी संस्थाओं की मदद के बाद हम इस मिल्क बैंक को स्थापित कर पाए है और इसमें तकनीकी इंस्टॉलेशन का काम किया गया. यहां तक कि उद्घाटन के छह महीने बाद तक भी हम इस पर काम ही करते रहे. साथ ही साथ हमारे प्रसूति और स्त्री रोग विभाग में भी आ रही मरीजों को भी हम काउंसिल करते रहे ताकि वह हमें अपना दूध देने के लिए राजी हो सकें.
नवजात बच्चों के स्वास्थ के लिए एक नई पहल की शुरूआत
समाज में आज भी मां के दूध को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं. इसके लिए हमलोग लगातार प्रसूताओं को समझाते हैं. हमारे पास कुछ मरीज क्वीन मैरी प्रसूति रोग विभाग से होते हैं, जबकि कुछ अन्य अस्पतालों से रेफर होकर यहां आते हैं. इस तरह से हमारे पास कई तरह के मरीज आते हैं और उनको अलग-अलग तरह से हमें समझाना पड़ता है. साथ ही इन मरीजों की वजह से ही हमारे पास एक बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी भी होती है कि हम नवजात बच्चों के लिए कुछ बेहतरीन और सेहतमंद कर सके, जिसकी तरफ हम आगे बढ़ते जा रहे हैं.
सफाई का रखा जाता है बेहतर ध्यान
डॉ. कुमार कहती हैं कि हम मां का दूध लेने के लिए बहुत ज्यादा साफ सफाई का ध्यान रखना पड़ता है. जिस बर्तन में दूध कलेक्ट होता है और जिस बोतल से दूध कलेक्ट होता है वह बिल्कुल स्टेराइल होनी चाहिए. इसके लिए हमारे पास स्पेशल इक्विपमेंट्स, हॉट एयर ओवन, स्पेशल डिश वॉशर हैं. इससे उन बोतलों को स्टेराइल किया जाता है. इसके अलावा प्रसूता के लिए हम जो ब्रेस्ट पंप इस्तेमाल करते हैं, वह डिस्पोजेबल होते हैं. उन सभी को ऑटोक्लेव किया जाता है उसके बाद ही उन्हें इस्तेमाल किया जाता है. यदि किसी भी वजह से दूध में इंफेक्शन फैल गया तो यह हमारे लिए न केवल चुनौतीपूर्ण होगा बल्कि एक बेहद शर्मनाक बात भी होगी.
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जानिए क्या बताते हैं आंकड़े
पिछले 4 महीनों के आंकड़ों के अनुसार डॉक्टर कुमार कहती हैं कि अब तक कुल 2400 बच्चों ने हमारे यहां जन्म लिया है. इनमें से 75% बच्चों को पहले 1 घंटे में मां के दूध यानी स्तनपान करवाया गया है. तकरीबन 40 लीटर दूध माताओं ने डोनेट भी किया है, जिसमें से 25 लीटर दूध अन्य बच्चों को मिला है. रोजाना लगभग 1 लीटर दूध हम इकट्ठा करते हैं, जिसमें से आधा लीटर दूध निकल भी जाता है.
फिलहाल हम यह दूध उन नवजात बच्चों को दे रहे हैं, जिनका वजन 15 सौ ग्राम या उससे कम है और जो हमारे यहां ही जन्म लेते हैं. अभी हम यह सुविधा केजीएमयू से बाहर के अस्पतालों के लिए शुरू नहीं कर पाए हैं क्योंकि अभी हमारे पास इतनी क्षमता नहीं है.
-डॉ. माला कुमार, ह्यूमन मिल्क बैंक की नोडल ऑफिसर इंचार्ज