लखनऊ: यूपी विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने शुक्रवार को बजट सत्र की समाप्ति पर सदन के सदस्यों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि सभी दलीय नेताओं और सदस्यों ने सारगर्भित चर्चा में भाग लिया. कार्यवाही की गुणवत्ता की प्रशंसा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कार्यवाही में समय अवधि ही महत्वपूर्ण नहीं होती है. बहस की गुणवत्ता और मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श की महत्ता से ही कार्यवाही का मूल्यांकन किया जाना चाहिए.
16 दिन चली विधानसभा की कार्यवाही
हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही 13 फरवरी 2020 से प्रारंभ हुई और 28 फरवरी 2020 तक चली. 16 दिनों के सत्र में कुल 10 दिन सदन की बैठक हुई, जिसमें कुल 61 घंटे 41 मिनट तक सदन की कार्यवाही चली. उन्होंने बताया कि 10 दिन के उपवेशनों में अल्पसूचित प्रश्न 142, तारांकित प्रश्न 1066, अतारांकित प्रश्न 1091 प्राप्त हुए. इनमें कुछ 584 प्रश्न उत्तरित हुए. नियम 301 की कुल 413 सूचनाएं प्राप्त हुईं, जिनमें से 259 स्वीकृति हुई.
विधानसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि नियम-51 के अंतर्गत 632 सूचनाएं प्राप्त हुई, जिनमें 80 सूचनाएं स्वीकृत हुई और 375 सूचनाओं पर ध्यानाकर्षण किया गया. नियम-56 के अंतर्गत 78 सूचनाएं प्राप्त हुई, जिनमें 22 सूचनाएं ग्राह्यता हेतु सुनी गई और 34 पर ध्यानाकर्षण हुआ. अन्य सूचनाओं को भी आवश्यक कार्यवाही हेतु सरकार को प्रेषित किया गया.
राज्यपाल के अभिभाषण पर 68 सदस्य चर्चा में हुए शामिल
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष एवं दलीय नेताओं समेत 68 सदस्यों ने भाग लिया. वित्तीय वर्ष 2020 की बजट चर्चा में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष एवं दलीय नेताओं सहित 70 सदस्यों ने हिस्सा लिया. इस बजट सत्र में कुल 11 विधेयक पारित किए गए, जिनमें पक्ष-विपक्ष की तरफ से महत्वपूर्ण चर्चाएं हुईं. विपक्ष द्वारा अपनी मांग उठाकर तर्क प्रस्तुत किए गए. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने उठाए गए प्रश्नों का समाधान उत्तर दिए.
विधानसभा में कई महत्वपूर्ण विषयों पर हुआ वाद-विवाद
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि कानून व्यवस्था के प्रश्न पर भी विधानसभा में कई बार महत्वपूर्ण वाद विवाद हुआ. बेशक पक्ष-विपक्ष के अपने आंकड़े और तथ्य रहे हैं, लेकिन वाद-विवाद में सभा की रुचि और गंभीरता आकर्षण का विषय बनी रही. सभा में किसानों की समस्याएं भी पूरी शिद्दत के साथ उठाई गई. छुट्टा जानवरों की समस्या, आलू किसानों और गन्ना किसानों की समस्या को दूर करने की दृष्टि से विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों ही गंभीर दिखाई पड़े.