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कोरोना काल में साइबर ठगों के नए-नए पैंतरें, जानिए कैसे बचें

साइबर क्राइम अब नए-नए रूप ले चुका है और रोज हजारों लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं. लोग कभी बैंक तो कभी आकर्षक ऑफर के लालच में ठग लिए जाते हैं. अब लोग ओटीपी और सीवीवी जैसी संवेदनशील जानकारी देने से बचने लगे हैं, तो साइबर ठगों ने भी नए तरीके निकाल लिए हैं. इसलिए बेहद जरूरी है कि सावधानी बरती जाए और किसी भी मौके पर फैसला समझदारी से लिया जाए.

साइबर ठगी
साइबर ठगी

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Published : Aug 2, 2021, 12:24 PM IST

Updated : Aug 2, 2021, 1:35 PM IST

लखनऊ : साइबर ठगी के लिए जालसाज आपसे पैसा ऐंठने के लिए लगातार नए-नए तरीके अपनाते हैं. कई बार वह आपको कुछ ऑफर में या सस्ता देने का लालच देकर या आपके द्वारा की गई शिकायतों को हैक कर आपको ठगते हैं. कई बार देखा गया कि वह आपदा का बहाना बनाकर भी आपको चूना लगाते हैं. कोरोना वायरस से जुड़े किसी भी लिंक पर क्लिक सोच-समझकर ही करें. मौजूदा समय में आपदा का फायदा उठाने के लिए ठग लिंक भेज रहे हैं. इसलिए बेहद जरूरी है कि सावधानी बरती जाए और किसी भी मौके पर फैसला समझदारी से लिया जाए, ताकि इन साइबर क्रिमिनल के मंसूबों को नाकामयाब किया जा सकें.

ADG साइबर क्राइम राम कुमार ने दी जानकारी

UPI से ठगी, एप डाउनलोड करा 49 हजार ठगे

बीते 29 जुलाई को इन्दिरानगर मयूर रेजीडेंसी निवासी प्रतिभा पांडेय ने फूड डिलेवरी एप से आर्डर बुक कराया था. UPI से ऑनलाइन पेमेंट करते वक्त प्रतिभा के खाते से गलती से आठ सौ रुपये कट गए थे. शिकायत करने के लिए उन्होंने इंटरनेट से कस्टमर केयर नंबर निकाल कर फोन किया था. बात करने वाले शख्स ने प्रतिभा से एक एप डाउनलोड करने के लिए कहा जिसका इस्तेमाल करते हुए ठग ने महिला के खाते से 49 हजार रुपये निकाल लिए. पीड़िता ने इन्दिरानगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस मामले की विवेचना कर रही है.

सुझाव: UPI के जरिए भेजे गए लिंक न खोले

यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए किसी को भी आसानी से पैसे भेजे या मंगाए जा सकते हैं। नेट पर उपलब्ध UPI का कस्टमर केयर नंबर न लें। साथ ही किसी भी व्यक्ति के कहने पर कोई एप डाउनलोड न करें। UPI के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं. इससे बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर देना चाहिए. अजनबियों के लिंक भेजने पर क्लिक न करें.


2. QR कोड से धोखाधड़ी, 55 हजार निकाले

बीते 29 जुलाई को मोहिनीखेड़ा निवासी मनीष कुमार के पास रिश्तेदार नितेश की कॉल आई थी. मनीष के अनुसार रिश्तेदार के फोन-पे अकाउंट में दिक्कत थी, इसलिए नितेश ने मनीष के फोन-पे वालट में रुपये मंगाने की बात कही. पीड़ित ने अपने ई-वॉलेट की डिटेल बता दी. मनीष के पास एक क्यूआर कोड आया. उसे स्कैन करते ही मनीष के खाते से 55 हजार रुपये निकल गए.

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सुझाव: स्कैन न करें QR कोड

ADG साइबर क्राइम राम कुमार का कहना है कि, क्यूआर यानी क्विक रिस्पांस कोड (QR) के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं. क्यूआर कोड इंक्रिपटेड होते हैं, जिन्हें स्कैन करने के लिए क्यूआर कोड स्कैनर की जरूरत होती है. जो गूगल प्ले और एप्पल स्टोर पर उपलब्ध हैं. बैंक और ई-वालट एप में भी क्यूआर कोड स्कैन करने की सुविधा होती है. ADG के मुताबिक, क्यूआर कोड को बेहद सुरक्षित माने जाते हैं. ऐसे में कोड स्कैन करते वक्त लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते. इसी लापरवाही का फायदा साइबर अपराधी उठाते हैं. वह बताते हैं कि अगर कोई आपको क्यूआर कोड भेज कर स्कैन करने के लिए कहता है तो सचेत हो जाएं. यह ठगों का तरीका है. क्योंकि अपने अकांउट में रुपये मंगाने के लिए क्यूआर कोड स्कैन या पिन नहीं डालना होता है.


3. Whatsapp कॉल के जरिए फर्जीवाड़ा

बीते 28 जून को सुशांत गोल्फ सिटी थाने में युवक ने वीडियो काल कर रुपये वसूले जाने का मुकदमा दर्ज कराया है. अर्जुनगंज निवासी युवक के फेसबुक आईडी पर एक युवती ने फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी, जिसे उसने स्वीकार कर लिया था. दोनों के बीच व्हाट्सएप पर भी बातचीत होती थी. एक दिन युवती ने वीडियो काल की। बातचीत के दौरान ही वह गलत हरकत करने लगी. युवक के मुताबिक, उसने फोन रख दिया था. कुछ देर बाद उसे दूसरे नम्बर से फोन कर धमकाया जाने लगा. फोन करने वाले व्यक्ति ने युवती के साथ हुई वीडियो काल की रिकार्डिंग यू-ट्यूब पर डालने की धमकी दी. जिसे रोकने के एवज में युवक से 35 हजार रुपये ऐंठे गए.

सुझाव: अंजान महिला के व्हाट्सएप कॉलिंग से सावधान रहें

Whatsapp पर किसी अंजान महिला व व्यक्ति से सावधान रहें, अगर Whatsapp पर किसी अनजान नंबर से वॉइस और VEDIO कॉल आती है तो आप होशियार हो जाइए, क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है. वॉइस कॉल करने वाला अपनी ट्रिक में फंसाकर आपके पैसे हड़प सकता है.

4. ATM कार्ड का क्लोन बना कर ठगी

बीते 29 जुलाई को लोहिया विहार निवासी प्रोसेनजीत बनर्जी के एटीएम कार्ड का क्लोन बना कर 33 हजार रुपये, चौक अकबरी गेट निवासी कासिफ मजीद के खाते से 60 हजार रुपये, पीजीआई तेलीबाग निवासी रामदुलार के अकाउंट से 13 हजार, कैंट निलमथा निवासी करुणेश के अकाउंट से 35 हजार और कृष्णानगर निवासी आशा रस्तोगी के एटीएम कार्ड का क्लोन बना कर 20 हजार रुपये निकाले गए हैं.


सुझाव: गार्ड वाले ATM बूथ का करें उपयोग

ADG साइबर क्राइम का कहना है कि इसी तरह ठग कई एटीएम मशीनों में एक किट लगाते हैं. इसमें कीपेड पर एक मेट के तरीके का उपकरण, स्वाइप की जगह काॅपी मशीन और पासवर्ड को देखने के लिए एक बटन जैसा कैमरा लगाया जाता है. यह कैमरा आपके पासवर्ड और स्वाइप की जगह लगी. मशीन आपके डेटा को सेव करती है. इस मशीन में जितने भी एटीएम स्वाइप होते है. उनका डेटा इस डिवाइस में चला जाता है. इसे मौका पाकर ठग निकाल लेते हैं, जिसके बाद उसी प्रक्रिया के तहत कार्ड का क्लाेन तैयार कर पीड़ित की जेब में उसका कार्ड होने के बाद भी क्लोन के जरिये खाते से रुपये निकाल लेते हैं. इससे बचने के लिए ऐसे एटीएम बूथ का उपयोग करें, जहां पर गार्ड तैनात हों. एटीएम बूथ में लगाने से पहले अच्छे से जांच लें. कहीं कोई अजीब सी वस्तु तो नहीं लगी.

5. 10 रुपए का लालच देकर 1.5 लाख उड़ाए

बीते 28 जून को जालसाज ने झांसा दिया कि, कृष्णानगर निवासी रजत द्विवेदी से महज 10 रुपये के ऑनलाइन रिचार्ज करने पर मोबाइल नंबर चालू रहेगा. जालसाज की बातों में पीड़ित आ गया और उसने जालसाज द्वारा बताये गए एकाउंट नंबर पर 10 रुपये ट्रांसर्फर कर दिए थे. इसके महज कुछ ही देर बाद ही पीडित के बैंक खाते से डेढ़ लाख रुपये निकलने का मैसेज मोबाइल फोन पर आ गया. पीड़ित ने पीजीआई अस्पताल परिसर में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया की शाखा में संपर्क किया. बैंक कर्मियों से जानकारी लेने के बाद पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ. पीड़ित ने अज्ञात जालसाज के खिलाफ साइबर क्राइम सेल, पीजीआई थाने में मुकदमा दर्ज कराया है.

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सुझाव: सस्ते ऑफर के चक्कर में न पड़े

सस्ता या मौजूदा स्कीम के ऑफर के द्वारा धोखा साइबर क्रिमिनल आपको किसी मौजूदा स्कीम में सस्ता देने का लालच देते हैं. वह इस बात की ताक में लगे रहते हैं कि कौन सी स्कीम या सेल चल रही है, जिससे आपको उनकी बातों पर झट से विश्वास हो जाए. इसलिए किसी ऑफर या सस्ता की बात से सावधान रहें. बिना जांचे-परखें क्लिक न करें.

6. आपदा में मजबूरी का फायदा उठाकर की ठगी

बीते 8 मई को वाट्सएप ग्रुप और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से सेल्स एजेंट (दलालों) की चेन बनाकर कालाबाजारी करने वाले व्यापारी पुत्र जय मखीजा को महानगर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जय और इसके गिरोह के लोगों ने इंटरनेट मीडिया पर अपने नंबर पोस्ट कर रखे थे. जब कोई जरूरतमंद उस नंबर पर फोन करके आवश्यक मेडिकल सामग्री की डिमांड करता था तो वह व्यक्ति दूसरे एजेंट का नंबर देता था. ग्राहक जब उस एजेंट से बात करता तो वह उसे थोड़ी जानकारी करके दूसरे का नंबर देता. इस तरह जरूरतमंद ग्राहक को करीब सात से आठ लोगों से बातचीत करनी पड़ती थी। उसके बाद उसे तय स्थान पर बुलाकर उपकरण देकर मनमाने रुपये लेते थे. पल्स आक्सीमीटर छह से सात सौ रुपये में आता है। उसे करीब चार हजार तक में बेचते थे. आक्सीजन सिलि‍ंडर का वाल्व 1000-1200 रुपये में आता है. उसे छह हजार रुपये में बेचते थे. 40 हजार रुपये कीमत का आक्सीजन कंसंट्रेटर करीब सवा लाख रुपये तक बेचते थे. अस्पताल में बेड दिलवाने व वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन के नाम पर भी रुपये ऐंठें.

सुझाव: आपदा में जालसाजों से रहें सतर्क

ADG का कहना है कि, कोरोना कॉल में साइबर जालसाजों ने ठगी का ट्रेंड बदल दिया है. कोरोना की दूसरी लहर में जालसाज मरीज के स्वजन और जरूरतमंदों को अपना शिकार बनाया, अब तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है. ऐसे में लोगों को सचेत रहना होगा. हालांकि, हमारी टीम लगातार ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रही है और उनके बारे में जानकारी जुटा रही है. जरूरतमंद लोगों को सुझाव है कि, वह ऐसे जालसाजों से सतर्क रहें. कोरोना वायरस से जुड़े किसी भी लिंक पर क्लिक सोच-समझकर ही करें. मौजूदा समय में आपदा का फायदा उठाने के लिए ठग लिंक भेज रहे हैं.


OTP और CVV नम्बर शेयर न करें : ADG

ADG साइबर क्राइम ने कहा- "आपको डेबिट व क्रेडिट कार्ड का पासवर्ड और अपना ओटीपी और सीवीवी नंबर किसी भी व्यक्ति को शेयर न करें. UPI और PTM से पेमेंट लेने के लिए कभी "पिन" देने की आवश्यकता नहीं पड़ती. सिर्फ पेमेंट देने के लिए ही "पिन" देने की जरूरत पड़ती है. अगर कोई कहता है कि आप पिन दाल दीजिये आपके एकाउंट में पैसे आएंगे तो वह आप से चीट कर रहा। आपको बेवकूफ बना रहा है. उन्होंने बताया कि SMS या मेल पर आई हुई किसी भी अनजान लिंक को मत खोलें. कुछ ऐसे भी एप्लीकेशंस हैं जो प्लेस्टोर पर उपलब्ध नहीं हैं, फिर भी हम उसे अपने मोबाइल में डाउनलोड करते है. डाउनलोड करते वक्त हमें अलर्ट किया जाता है कि यह ऐप आपके लिए हानिकारक है, फिर भी हम उस ऐप को डाउनलोड करते ही हैं. उस परिस्थिति में उपयोगकर्ता को स्वयं सोचना चाहिए. उनको उनकी इच्छानुसार सुविधायुक्त ऐप चाहिये, न कि किसी के सुझाव के अनुसार. लिंक भेजने वाले का पता भी हो, तो अटैचमेंट को खोलने में ज्यादा सावधानी का ध्यान रखें. ईमेल, वेबसाइट में वर्तनी की गलती और अज्ञात ईमेल भेजने वालों से भी सावधान रहें.

Last Updated : Aug 2, 2021, 1:35 PM IST

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