लखनऊः आवास विभाग ने एक मुश्त समाधान योजना (ओटीएस) 7 फरवरी 2020 को शुरू की थी, लेकिन एलडीए राजधानी के आवंटियों को इसका लाभ नहीं दिला पाया. यह योजना इस मकसद से लांच की गयी थी कि डिफॉल्टर आवंटियों को ब्याज से राहत मिलेगी और वह प्राधिकरण का बकाया जमा कर देंगे. ओटीएस में जिस गति से पैसा आना चाहिए उसे लाने के लिए अधिकारियों ने दिलचस्पी ही नहीं दिखाई.
राजधानी में सात हजार डिफॉल्टर आवंटी
आवंटियों को न ओटीएस से कोई सरोकार है और न ही एलडीए को अपना पैसा निकालने में कोई दिलचस्पी है. 31 दिसंबर को ओटीएस समाप्त हो रही है. वहीं, आंकड़े बताते हैं कि सात हजार से अधिक डिफॉल्टर आवंटियों ने अपनी संपत्तियों का पैसा जमा नहीं किया. अब जिन लोगों ने ओटीएस आवेदन नहीं किया है, उनसे फीड बैक प्राप्त किया जायेगा.
47 करोड़ एलडीए के खाते में आए
जानकारी के अनुसार, प्रॉपर्टी में निवेश करने वाले पहले संपत्ति खरीदेंगे और फिर दो से तीन किस्त जमा करने के बाद हर साल आने वाली ओटीएस यानी एक मुश्त समाधान का इंतजार करते रहे हैं. ऐसे ढाई हजार से ज्यादा डिफॉल्टर आवंटी हैं, जिन्होंने ओटीएस का लाभ लेते हुये अपना बकाया बिना ब्याज का जमा किया. करीब 47 करोड़ रुपये ही अभी तक प्राधिकरण के खजाने में आये हैं. 168 करोड़ बकाए में अब भी 121 करोड़ रुपये डिफॉल्टर आवंटियों के पास ही हैं. इससे एलडीए को न पैसा मिल रहा है और न नई योजनाओं को शुरू करने के लिए पैसा.
सात फरवरी को जारी हुआ था आदेश
हाल यह है कि एलडीए आर्थिक संकट से गुजर रहा है. आवास विभाग ने सात फरवरी को शासनादेश जारी किया था. लॉकडाउन में कार्यालय बंद होने के चलते योजना को 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया. हालांकि इसके बेहतर परिणाम नहीं मिले हैं. एकमुश्त समाधान योजना में सिर्फ 400 लोगों ने ही आवेदन किया है.
कमिश्नर ने ओटीएस की सुस्ती पर जताई थी नाराजगी
बीते दिनों समीक्षा बैठक में कमिश्नर रंजन कुमार इस पर नाराजगी जता चुके हैं. हाल यह है कि प्राधिकरण के अधिकारियों के पास सही आंकड़े तक नहीं हैं. इस पर समस्त डिफॉल्टरों का योजनावार विवरण तैयार करने के निर्देश दिये गये. हालांकि अभी तक सूची तैयार नहीं की गयी है. 31 दिसंबर को यह योजना समाप्त हो रही है. ओटीएस के अंतर्गत 4192 डिफॉल्टर आवंटियों का अलग-अलग विवरण तैयार कर सात दिनों में आवेदन लिये जाने के निर्देश दिये हैं.