लखनऊ : राजधानी लखनऊ और कुछ बड़े शहरों को छोड़ दें, तो प्रदेश के तमाम शहर ऐसे हैं, जहां लंबे अर्से से आवास विकास परिषद ने आवासी योजनाएं शुरू नहीं की हैं. हालांकि हाल ही में प्राधिकरण ने घोषणा की है कि वह अयोध्या सहित छह शहरों में नई आवासीय योजनाएं लेकर आएगा. इसके लिए राज्य सरकार आवास विकास परिषद को पंद्रह सौ करोड़ से भी बड़ी राशि देगी. गौरतलब है कि आवास विकास परिषद के अतिरिक्त बड़े शहरों में विकास प्राधिकरणों का भी गठन किया गया है, जो शहरी जरूरतों के अनुरूप आवासीय योजनाएं बनाते हैं. इसके अलावा नगर निगम आदि भी आवासीय योजनाएं लाते हैं. छोटे शहरों का नियोजित विकास और अच्छी आवासीय सुविधाएं न होने के कारण लोग बड़े शहरों की ओर पलायन करने लगते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार छोटे शहरों में बड़े स्तर पर आवासी योजनाएं लाने का प्लान बना रही है.
राजधानी लखनऊ में तो आवास विकास परिषद ने अरावली एन्क्लेव, वृंदावन योजना, एवरेस्ट एनक्लेव, कैलाश एन्क्लेव, गोवर्धन एनक्लेव, गोमती एनक्लेव, अवध विहार योजना, सरयू एन्क्लेव, सिद्धार्थ विहार योजना, गंगा यमुना हिंडन अपार्टमेंट्स, आम्रपाली एन्क्लेव फ्लैट्स, आम्रपाली योजना आदि तमाम आवासी योजनाओं की सौगात दी है, हालांकि परिषद को प्रदेशभर में आवासीय सुविधाओं के लिए काम करना था. बड़े शहरों को छोड़ दें, तो देश के अन्य शहरों में अपेक्षित काम नहीं हो पाया है. इसके कई कारण हैं. कभी भूमि की उपलब्धता तो कभी आर्थिक संकट विकास योजनाओं में बाधक बना. आवास विकास परिषद प्रदेश की आवासीय संस्थाओं में सबसे प्रमुख स्थान पर है. इसकी स्थापना 1966 में आवासीय समस्याओं को दूर करने के लिए की गई थी. हाल ही में अयोध्या, मुरादाबाद, कानपुर, मेरठ, आगरा और वाराणसी में आवासीय कालोनियों की घोषणा हो जाने के बाद लोगों को उम्मीद बंधी है कि शायद उनके शहर तक भी इन योजनाओं का लाभ पहुंचे.
इस संबंध में सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर अजय कुमार दीक्षित बताते हैं 'आवासीय योजना में सबसे बड़ा संकट भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया थी. यह बहुत समय लेती थी और इसमें कई प्रकार के व्यवधान भी आते थे, हालांकि अब आवास विकास परिषद सीधे भू स्वामी से बातचीत करता है और आवासीय योजना को आगे बढ़ाने की नींव तैयार करता है.' वह बताते हैं कि 'नई प्रक्रिया काफी सरल, सुविधाजनक और त्वरित गति देने वाली है. परिषद की आवासीय योजनाएं मानकों को ध्यान में रखती हैं. इनमें पार्क, स्कूल, चौड़ी सड़कें, हरियाली, सामुदायिक केंद्र, अस्पताल और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों आदि का भी ध्यान रखा जाता है. बिजली, पानी, शौचालय और स्वच्छता इन कॉलोनियों की विशेषता है. यही कारण है कि इनकी मांग अधिक है.'