लखनऊ : राजधानी की पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों में 'होम टेबल' की शुरुआत की गई है. इसमें हेरिटेज प्रॉपर्टीज के मालिकों ने अपने यहां रेस्टोरेंट की शुरुआत की है. इसकी खास बात ये है की 100 साल से ज़्यादा पुरानी इमारतों के मालिकों ने इस होम टेबल की शुरूआत सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नहीं बल्कि अवध की संस्कृति, परम्परा, पकवान, तहजीब के प्रसार के लिए की है. ऐतिहासिक इमारतों की इस 'होम टेबल' में पुराने दौर के खानसामा पुराने दौर के रेसिपी से बने अवध के जायकों से विदेशी और देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले पर्यटकों को लुभा रहे हैं. साथ ही इन पर्यटकों को ऐतिहासिक इमारतों की रिहाइश भी देखने को मिल रही है. कैसे नवाब इन इमारतों में रहते थे, इनकी बनावट और मजबूती कैसी है.
धरोहरों में 'होम टेबल' की शुरुआत अवधि व्यंजनों का लुफ्त : भटवामऊ हाउस कैसरबाग के मालिक जीशान इमाम ने बताया कि 'कैसरबाग एरिया में जितने भी घर हैं वे वह काफी पुराने हैं. कई घर तो डेढ़ सौ साल पुराने हैं. हमारे घरों में जो रेगुलर खाना बनता है वह ऑथेंटिक अवधी खाना है. भटवामऊ हाउस के नाम से जो हमारे खानसामा हैं, वह पीढ़ी दर पीढ़ी खाना बना रहे हैं. इसी के तहत हमने और हमारे कोई दोस्त हैं जो रेगुलर हमारे यहां खाना खाने आते हैं. वह हमारे खाने की काफी तारीफ करते हैं. इसी से आइडिया लेकर हमने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट डाले, जिसके बाद हमें काफी अच्छा रिस्पांस मिला.'
धरोहरों में 'होम टेबल' की शुरुआत अलग है होम टेबल का कांसेप्ट :जीशान इमाम बताते हैं कि 'हम यहां आने वाले लोगों को गिलावटी कबाब, निहारी, बिरियानी और कुल्लड़ चाय जैसे व्यंजन लोगों को ऑफर करते हैं. उन्होंने बताया कि हमारा खाना जो है वह लखनऊ के प्रसिद्ध रेस्टोरेंट्स में मिलने वाले अवधी खाने से काफी हद तक अलग है. क्योंकि हम लोगों को ही अवधि खाना ऑफर करते हैं जो पीढ़ियों से हमारे खानसामा बनाते आ रहे हैं. यह पूरी तरह से हमारे घरों में बनने वाले व्यंजन हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा हम खाने के वक्त लोगों को यह भी बताते हैं कि जो व्यंजन हम उन्हें परोस रहे हैं वह कैसे अस्तित्व में आया और उसके बनाने की कला क्या है. जीशान ने बताया कि हमारे खाने को लखनऊ के साथ-साथ विदेश से आने वाले पर्यटक काफी पसंद कर रहे हैं. सप्ताह के अंतिम दिनों में कोई भी व्यक्ति हमसे संपर्क कर होम टेबल का लुफ्त ले सकता है. इसी तरह कोटवारा हाउस के मालिक व फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली हेरिटेज आवास घूमने का मौका देते हैं. पर्यटक वहां पर बैठकर कॉफी का लुफ्त लेते हुए उनके पूरे ऐतिहासिक घर के इतिहास की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं.'
प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि 'नई पर्यटन नीति में पूरे प्रदेश में जो भी ऐतिहासिक इमारतें हैं उनके विकास के लिए सरकार ने योजना बनाई है. इसके तहत इन इमारतों के मालिक पर्यटन विभाग के साथ मिलकर पीपीपी मॉडल पर यहां पर रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस व बैंक्वेट हॉल सुविधा शुरू कर सकते हैं. इसके तहत सरकार उनको कई तरह की सुविधाओं के साथ रियायत प्रदान कर रही है.
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