लखनऊ:यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर मचे घमासान के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय पर अवध और कानपुर क्षेत्र के जिलों के आला भाजपा पदाधिकारियों के साथ बैठक की. प्रमुख पदाधिकारियों के अलावा भाजपा की कोर कमेटी के सदस्य भी इस मौके पर मौजूद रहे. जिसमें मुख्य रुप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा भी मौजूद थे.
बैठक में अवध और कानपुर क्षेत्र की करीब 80 विधानसभा सीटों का अमित शाह ने हाल लिया. उन्होंने 'जन विश्वास यात्रा' के दौरान अलग-अलग विधानसभा सीटों पर मिली प्रतिक्रियाओं का आकलन किया. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी जहां-जहां कमजोर है. उस पर पदाधिकारियों से तीखे सवाल भी किए और चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा.
जन विश्वास यात्राओं के बाद भारतीय जनता पार्टी की प्रमुख रैलियों और सभाओं के विषय में बातचीत की गई. मुख्य रूप से गृहमंत्री की एकाग्रता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखनऊ में होने वाली रैली को लेकर थी. यह रैली 5 से 9 जनवरी के बीच की जा सकती है. जिसमें भाजपा भारी भीड़ जुटाने की तैयारी कर रही है.
19 दिसंबर से शुरू हुई भारतीय जनता पार्टी की जन विश्व विश्वास यात्राएं 2 जनवरी को समाप्त हो रही है. मौके पर 3 जनवरी को लखनऊ में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एक सभा को संबोधित करेंगे. इससे पहले अमित शाह गोरखपुर और काशी क्षेत्र की बैठक कर चुके हैं और वहां पदाधिकारियों को चुनाव की तैयारियों के संबंध में जानकारियां दे चुके हैं. अब नंबर अति महत्वपूर्ण अवध और कानपुर क्षेत्र का था जिसमें अमित शाह ने इन दोनों क्षेत्रों की 80 विधानसभा सीटों की समीक्षा की.
अवध और कानपुर क्षेत्र में 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने अधिकांश सीटें जीती थी. मगर इस बार अनेक सीटों पर भाजपा के वर्तमान विधायक कमजोर स्थिति में नजर आ रहे हैं. जिसमें सुधार की क्या संभावनाएं हैं. टिकटों को बदलकर क्या स्थिति बन सकती है और नए प्रत्याशियों को चुनने के मानक क्या होंगे. इन सारे मुद्दों पर अमित शाह ने कोर कमेटी और अन्य पदाधिकारियों के साथ चर्चा की.
आचार संहिता लगने के बाद रैली और सभाओं की तैयारियों पर बात हुई. किन विधानसभा सीटों में नरेंद्र मोदी अमित शाह जेपी नड्डा जैसे बड़े नेताओं की रैलियां होंगी. कहां जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह व अन्य नेता निभाएंगे. इन सारी बातों पर इस मीटिंग में चर्चा की जाती रही. इसके साथ ही सभी पदाधिकारियों को ये भी निर्देश दिया गया कि चुनावी बेला अब दरवाजे पर खड़ी है. ऐसे में मजबूत तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर लेनी चाहिए और अधिक से अधिक मतदाताओं को भारतीय जनता पार्टी की ओर आकर्षित करने में कोई कोर कसर बाकी न रखी जाए.
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