लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना का प्रकोप छाया हुआ है. वहीं वायरस के प्रकार में बार-बार बदलाव हो रहा है. ऐसे में इलाज की नीति में भी बदलाव लाना आवश्यक है. लिहाजा यूपी में होम आइसोलेशन की जल्द ही नई गाइडलाइन लागू होगी. इसके लिए राज्य कोविड नियंत्रण विशेषज्ञ समिति मंथन में जुट गई है.
देश में कोरोना वायरस के स्ट्रेन व म्यूटेशन में बदलाव देखे गए हैं. यूपी में भी वायरस बुरी तरह कोहराम मचाए हुए है. हर रोज हजारों मरीज संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. वहीं प्रतिदिन सैकड़ों की जान जा रही है. स्थिति यह है कि राज्य में मृत्यु दर एक फीसद से अधिक पहुंच गई है. ऐसे में गली-गली में मातम छाया हुआ है. इसका कारण एका-एक की मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होना और उनकी मौत हो जाना रहा. मरीजों को जांच और इलाज तक का मौका नहीं मिल सका. कमोबेश ऐसा ही हाल होम आइसोलेशन में भर्ती गंभीर मरीजों का भी रहा. इनकी भी तबीयत अचानक बिगड़ रही है. समय पर अस्पताल में शिफ्ट न होने से उनकी जिंदगी भी दांव पर बन जाती है. ऐसे में इलाज के पुराने ढर्रे से वायरस पर नियंत्रण हो पाना मुश्किल लग रहा है. लिहाजा राज्य में कोरोना प्रिवेंशन व होम आइसोलेशन की गाइड लाइन में बदलाव होगा. समिति के अध्यक्ष और एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान ने कहा कि होमआइसोलेशन की नई गाइड लाइन तैयार की जा रही है. सोमवार को शासन को भेज दी जाएगी.
यूपी में बदलेगी होम आइसोलेशन की गाइडलाइन
कोरोना के बदलते लक्षणों को देखते हुए अब उत्तर प्रदेश में होम आइसोलेशन की गाइडलाइन में भी बदलाव किया जाएगा. इसके लिए राज्य कोविड नियंत्रण विशेषज्ञ समिति मंथन में जुट गई है.
यूपी में बदलेगी होम आइसोलेशन की गाइडलाइन
कुछ यह हो सकते हैं बदलाव
- होम आइसोलेशन में 10 दिनों तक रहने और लगातार तीन दिनों तक बुखार न आने की स्थिति में मरीज होम आइसोलेशन से बाहर आ सकते हैं. उस समय टेस्टिंग की जरूरत नहीं होगी.
- स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा मरीज की स्थिति को तय किया जाए कि उसे किस श्रेणी का वायरस है. ऐसे मामले में मरीज के सेल्फ आइसोलेशन की उनके घर पर व्यवस्था होनी चाहिए.
- ऐसे मरीज जिस कमरे में रहते हों उसका आक्सीजन सेच्युरेशन भी 94 फीसद से ज्यादा होना चाहिए. उसमें वेंटिलेशन की भी बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए.
- बुखार या कोविड के अन्य संदिग्ध लक्षण होने पर होमआइसोलेशन की दवा सेवन की सलाह दी जा सकती है, जिससे कि जांच के इंतजार में रोगी को गंभीर होने से रोका जा सके.
- स्टेरॉयड थेरेपी व प्रोन वेंटिलेशन के बारे में जोड़ा जा सकता है.
- घर में रेमडेसिविर लेने की मनाही होगी. रेमडेसिविर इंजेक्शन सिर्फ हॉस्पिटल में दिया जा सकेगा और इसे घर पर रखने की कोशिश न करें.