लखनऊ : स्वार विधानसभा सीट से विधायक रहे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता समाप्त होने के बाद उप चुनाव हो रहा है. स्वार सीट पर जहां बीजेपी की सहयोगी अपना दल (एस) ने शफीक अहमद को मैदान पर उतारा है तो समाजवादी पार्टी ने सभी को चौंकाते हुए अनुराधा चौहान पर दांव खेला है. मतगणना के शुरुआती रुझानों में दोनों दलों में कड़ी टक्कर हो रही है.
कभी स्वार विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ हुआ करती थी. इस विधानसभा सीट से रामपुर के विधायक आकाश सक्सेना के पिता बीजेपी के शिव बहादुर सक्सेना 4 बार विधायक बने, जिसके बाद इस सीट पर नवाब खानदान का कब्जा हो गया, जो कांग्रेस से लड़ा करते थे. तब से ही बीजेपी इस सीट पर एक जीत के लिए पसीना बहा रही है और कभी खुद तो कभी सहयोगी दलों के सहारे जीत तलाशने में जुटी हुई है. हालांकि समाजवादी पार्टी का जरूर वक्त आया और स्वार विधानसभा सीट पर आजम खान के परिवार का दबदबा दिखने लगा. आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम ने वर्ष 2017 और 2022 में यहां से जीत हासिल की थी.
स्वार सीट को जीतने की जिम्मेदारी बीजेपी ने अपने स्थानीय पदाधिकारियों पर छोड़ दी है, जबकि रामपुर उप चुनाव में आजम खान के किले को भेदने के लिए पार्टी ने एड़ी चोटी का बल लगाया था. सीएम योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं ने ताबड़तोड़ रैलियां की थीं, लेकिन स्वार सीट में प्रचार में कमी देखने को मिल रही है. कहा जा रहा है कि स्वार सीट अपना दल (एस) के कोटे में है, ऐसे में बीजेपी पदाधिकारी महज अपना दल (एस) के सहयोग में प्रचार कर रहे हैं. प्रचार की प्रमुख भूमिका अपना दल (एस) सुप्रीमो अनुप्रिया पटेल ही निभा रही हैं, वहीं समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव भी स्वार उपचुनाव से दूर हैं. स्वार को जिताने की जिम्मेदारी आजम खान और उनके कार्यकर्ता संभाल रहें हैं.
अपना दल (एस) व सपा ने खेला दांव :स्वार सीट पर अपना दल (एस) ने शफीक अहमद को मैदान में उतारा है तो सपा ने अनुराधा चौहान को. वर्ष 2022 में भी, अपना दल (एस) ने अब्दुल्ला आजम के खिलाफ पूर्व कांग्रेसी नवाब काजिम अली के बेटे हैदर अली को मैदान में उतारा था. हालांकि, हैदर हार गए. इस बार समाजवादी पार्टी ने रणनीति बदली और एक ठाकुर प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया, जबकि इस सीट पर 60% मुस्लिम आबादी है.