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पड़ोसी के घर की घंटी बजाइए और कहिए चलो साहब वोट करने चलते हैं - पद्मश्री अशोक चक्रधर

लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है. जिसके चलते लोगों को मतदान के लिए जागरुक किया जा रहा है. वहीं प्रसिद्ध हस्तियां भी इस काम को बखूबी करने में लगी हुई हैं. पूरे विश्व में अपनी कविताओं और व्यंग्य के लिए मशहूर पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर ने भी लोगों से वोट करने की अपील की है.

पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर

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Published : Apr 8, 2019, 3:57 AM IST

लखनऊ: देश में चुनाव का दौर चल रहा है. जनता को मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए चुनाव आयोग इसे 'देश का महात्यौहार' की तरह मना रहा है. जहां चुनाव आयोग के साथ-साथ निजी स्तर पर भी चुनाव में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं कला जगत से जुड़े लोग भी इस दिशा में प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं. विश्वविख्यात कवि पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर ने भी ईटीवी भारत से खास बातचीत की और अलग ही अंदाज में लोगों से मतदान की अपील की.

हिंदी कवि डॉ. अशोक चक्रधर से ईटीवी भारत की खास बातचीत

उन्होंने कहा कि ''समस्याओं के निदान के लिए उन पर ध्यान दिया जाना जरूरी है. ध्यान तब दिया जाता है जब निदान करने वाले व्यक्ति उस पर अनुसंधान करेंगे. अनुसंधान के बाद अगर आप निदान कर पाते हैं तो पूजे जाएंगे और नहीं तो दूजे की कामना होगी. यह पूजे जाने और दूजे की कामना के बीच में जो एक परिवर्तनकारी प्रक्रिया होती है उसे 'मतदान' कहते हैं. इसलिए अगर आप 'चाहते हैं निदान, तो करिए मतदान'. मतदान ज़रूर करिए यह हमारा अधिकार ही नहीं हमारा कर्तव्य भी है.''

उन्होंने लोगों से वोट की अपील करते हुए कहा कि हिंदी भाषा के बहुत अच्छे दिन आ चुके हैं. देश के अच्छे दिन आएं इसके लिए चुनाव हो रहा है. भारत के नागरिकों को तब जागरूक माना जाएगा, जब वे जागे रहेंगे और मतदान करेंगे. उन्होंने कहा कि रुकें नहीं, जागिये और मतदान करने जाइए. साथ ही केवल स्वयं न जाएं बल्कि अपने पड़ोसी के घर की घंटी को भी बजाएं और उसे कहें कि भाई साहब चलते हैं और अपने देश के भविष्य के इस यज्ञ में आहुति देकर आते हैं.

इसके साथ ही उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व को समझाते हुए कहा कि हमारी मातृभाषा ही हमारे भावों और हमारे दिल की बात को सहजता से बता सकती है, जो किसी अर्जित भाषा से बहुत खुलकर बात नहीं की जा सकती. भले ही हम हिंदी में 'सर्व' करें पर हिंदी पर 'गर्व' करें. हिंदी को ताकत देने के लिए सोशल मीडिया एक बहुत ही अच्छा साधन है. वे बोले 'मौका कहां ढूंढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास हूं', आज हर मोबाइल के ऑपरेटिंग सिस्टम में हिंदी है.

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