लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में मृतक आश्रित विवाहित पुत्री को भी अनुकम्पा नियुक्ति का हकदार माना है. इसी के साथ कोर्ट ने यूपी को-ऑपरेटिव सोसायटी एम्प्लाईज सर्विस रेग्युलेशन्स में पुत्री के साथ लगे ‘अविवाहित’ शब्द को समाप्त कर दिया है. यह निर्णय न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने नीलम देवी की याचिका पर पारित किया.
याची के पिता यूपी सहकारी ग्रामीण विकास बैंक में सहायक शाखा लेखाकार के पद पर कार्यरत थे, जिनकी सेवाकाल में ही मृत्यु हो गई. उनके स्थान पर मृतक आश्रित के तौर पर याची नीलम देवी ने अनुकम्पा नियुक्ति की प्रार्थना की, जिसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि को-ऑपरेटिव सोसायटी एम्प्लाईज सर्विस रेग्युलेशन्स के तहत सिर्फ अविवाहित पुत्री ही मृतक आश्रित के तौर पर अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार है. इस दौरान यूपी को-ऑपरेटिव इन्स्टीट्यूश्नल सर्विस बोर्ड ने भी प्रस्ताव भेजकर उक्त प्रवाधान में संशोधन की सिफारिश की, जिसे राज्य सरकार ने नामंजूर कर दिया.
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