लखनऊ: एक बुजुर्ग व्यक्ति से जबरन लाखों रुपये की चेक भरवाने व स्टाम्प पर दस्तखत कराने के मामले में पुलिस की तरफ से एफआईआर न दर्ज करने पर हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है. इससे पहले भी आदेश के बावजूद सरकारी वकील को निर्देश न उपलब्ध कराने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा है कि यदि जवाब नहीं आता है तो पारा थानाध्यक्ष कोर्ट के समक्ष 18 फरवरी को हाजिर हों.
ज्ञात हो कि यह आदेश अनिल कुमार तिवारी की याचिका पर जस्टिस राकेश श्रीवास्तव व जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने पारित किया. याची का कहना है कि जमीन विवाद के एक मामले में कुछ कथित वकीलों ने पहले तो उसे बातचीत के लिए पारा चौकी पर बुलाया. वहां पहुंचने के बाद उसे घेर लिया और कहा कि 18 लाख रुपए देने के बाद ही वापस जाने को मिलेगा. आरोप है कि याची को मजबूर करके उसके घर से चेक मंगवाया गया और 18 लाख रुपये के चेक व एक स्टाम्प पर जबरन उसके हस्ताक्षर लिए गए.
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