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हाईकोर्ट ने कहा, वकीलों के अभद्र व्यवहार को मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकते - यूपी न्यूज

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 30 अक्टूबर को राजधानी के जिला कोर्ट परिसर के पास वकीलों पर कुछ वकीलों द्वारा ही हमला करने के मामले में जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि हम मूकदर्शक बनकर वकीलों के गैर-पेशेवर और अनियंत्रित व्यवहार को नहीं देख सकते हैं.

हाईकोर्ट ने कहा, वकीलों के अभद्र व्यवहार को मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकते.
हाईकोर्ट ने कहा, वकीलों के अभद्र व्यवहार को मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकते.

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Published : Nov 19, 2021, 9:54 PM IST

लखनऊःहाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 30 अक्टूबर को राजधानी के जिला कोर्ट परिसर के पास वकीलों पर कुछ वकीलों द्वारा ही हमला करने के मामले में जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि हम मूकदर्शक बनकर वकीलों के गैर-पेशेवर और अनियंत्रित व्यवहार को नहीं देख सकते हैं।

कोर्ट ने मामले में डीसीपी, वेस्ट जोन सोमेन वर्मा को तलब कर मामले में दर्ज एफआईआर पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है. साथ ही जनपद न्यायाधीश, लखनऊ से विस्तृत रिपोर्ट भी तलब की है.


यह आदेश जस्टिस राकेश श्रीवास्तव व जस्टिस शमीम अहमद की खंडपीठ ने अधिवक्ता पीयूष श्रीवास्तव व अन्य की याचिका पर पारित किया गया.

याचियों का कहना है कि 30 अक्टूबर को उन्होंने कुछ अभियुक्तों की जमानत अर्जी निचली अदालत में दाखिल की थी जो अदालत द्वारा उसी दिन स्वीकार कर ली गई लेकिन थोड़ी ही देर बाद एक वकील सतीश कुमार वर्मा द्वारा जिन अभियुक्तों की जमानत हुई थी, उनका बेल बांड न भरने के लिए याचियों से कहा गया.

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दरअसल, उक्त अभियुक्तों के खिलाफ सतीश कुमार वर्मा ने ही एफआईआर दर्ज कराई थी. हालांकि याची नहीं माने व सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद अभियुक्तों को रिहा कर दिया गया, आरोप है कि तब उक्त सतीश कुमार वर्मा ने अपने 30-40 कथित वकील साथियों के साथ पुराने हाईकोर्ट के गेट नंबर छह के पास पीयूष श्रीवास्तव, शैलेंद्र मिश्रा व सुचिता सिंह को घेर लिया व गाली-गलौज करते हुए, उन पर हमला भी किया.

कोर्ट ने कहा कि कानून के कार्य में बाधा बनने वाले हर शख्स के साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए. वहीं कोर्ट ने जनपद न्यायाधीश, लखनऊ से भी पूछा है कि वर्तमान मामले के साथ-साथ वर्ष 2017 में तत्कालीन सीजेएम द्वारा भेजी गई ऐसी ही एक रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की गई.

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