लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखनऊ नगर निगम के अपर नगर आयुक्त व सहायक नगर आयुक्त के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में दोनों अधिकारियों के खिलाफ अधिकार-पृच्छा रिट (क्वो वारन्टो / Quo warranto) जारी करते हुए, उनकी नियुक्ति को रद्द किए जाने की मांग की गई थी.
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने कामगार वेलफेयर सोसायटी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याची का कहना था कि म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट की धारा-58 के तहत अपर नगर आयुक्त की नियुक्ति सिर्फ यूपी पालिका (केंद्रीयकृत) सेवा के जरिए हो सकती है व सीधे इस पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती.
याचिका का विरोध करते हुए, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी कि याची ने उक्त प्रावधान को समझने में गलती की है. उक्त प्रावधान के तहत कहीं भी इस बात पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है कि सरकार पालिका सेवा के बाहर से किसी व्यक्ति की उक्त पदों पर नियुक्ति नहीं कर सकती है.
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न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि अधिकार-पृच्छा रिट की मांग करने वाले याची को अपनी प्रतिष्ठा का खुलासा अवश्य करना चाहिए, जबकि इस मामले में याची ने ऐसा नहीं किया है. उसे यह बताना चाहिए था कि उसका इस मामले में कोई निजी हित नहीं है. न्यायालय ने आगे कहा कि धारा 58 राज्य सरकार को अपर नगर आयुक्त की नियुक्ति की शक्ति देती है.
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