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बिना विकल्प दिये न हो दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों का तबादलाः हाईकोर्ट - उत्तर प्रदेश समाचार

हाईकोर्ट ने एक एपीओ के तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए टिप्पणी की. न्यायालय ने कहा कि तबादले की स्थिति में ऐसे कर्मचारी से विकल्प मंगाए जाने चाहिए. इसके पश्चात ही ट्रांसफर का निर्णय लिया जाना चाहिए.

लखनऊ हाई कोर्ट

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Published : Jun 4, 2019, 9:50 PM IST

लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने तबादले से जुड़े एक मामले 29 मार्च 2018 की सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी का जिक्र करते हुए टिप्पणी की है. सरकारी कर्मचारी, अधिकारी पर विकलांग बच्चे की जिम्मेदारी है, उसका रुटीन तबादला नहीं किया जाना चाहिए.न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए, मेरठ में तैनात एक सहायक अभियोजन अधिकारी के तबादला आदेश पर रोक लगा दी व अधिकारी के मामले को पुनः देखने के आदेश दिए.

हाईकोर्ट ने एक एपीओ के तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए की टिप्पणी

  • आदेश न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की एकल सदस्यीय पीठ ने मेरठ में तैनात एक सहायक अभियोजन अधिकारी की याचिका पर दिया.
  • याची की दलील थी कि उसका ट्रांसफर 29 मई 2019 को मेरठ से पीलीभीत कर दिया गया है जबकि उसका बेटा 70 फीसदी तक मानसिक रूप से मंद है.
  • याची की ओर से 29 मार्च 2018 के ट्रांसफर पॉलिसी के तहत उसे राहत दिलाए जाने की मांग की गई.
  • न्यायालय ने पॉलिसी के पैरा 11(ii) व (iv) का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके अनुसार यदि कर्मचारी पर विकलांग की जिम्मेदारी है तो ऐसी स्थिति में उसका रूटीन ट्रांसफर नहीं किया जाना चाहिए.
  • तबादले की स्थिति में ऐसे कर्मचारी से विकल्प मंगाए जाने चाहिए.
  • इसके पश्चात ही ट्रांसफर का निर्णय लिया जाना चाहिए.
  • अथॉरीटीज की यह जिम्मेदारी है कि वे उक्त नीति का पालन करें.
  • न्यायालय ने संबंधित अथॉरिटी को याची के ट्रांसफर पर दोबारा निर्णय लेने का आदेश देते हुए, 29 मई के ट्रांसफर आदेश पर रोक लगा दी.

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