उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

सीबीआई करेगी विधान परिषद भर्ती घोटाले की जांच, जानिए किस तरह परिजनों और करीबियों को दी गई नौकरी - Lucknow News

विधान परिषद सचिवालय में नेताओं, अधिकारियों के परिजनों और करीबियों को नौकरी देने के लिए नियमों की खूब धज्जियां उड़ाई गई हैं. कोर्ट के आदेश के बाद मामला सीबीआई जांच के लिए आगे बढ़ा है तो कई बड़े चेहरे बेनकाब होने के आसार हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 22, 2023, 5:26 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट ने विधानसभा और विधान परिषद में भर्ती घोटाले की सीबीआई से प्रारंभिक जांच करने की सिफारिश की है. हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि विधान परिषद सचिवालय में करीब 100 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई थी और 2020-21 में तत्कालीन सभापति रमेश यादव व तत्कालीन विधान परिषद के प्रमुख सचिव राजेश सिंह ने अपने लोगों को समायोजित करने और भ्रष्टाचार करने के लिए जमकर धांधली की थी. दस्तावेजों के अनुसार अपने लोगों को लाभ पहुंचाने अपने लोगों को विधान परिषद सचिवालय में नियुक्त करने के लिए नियमों की खूब धज्जिया उड़ाई थीं.

विधान परिषद भर्ती घोटाला.

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार होने के बावजूद विधानसभा और विधान परिषद में बड़ा भर्ती घोटाला किया गया मामला संज्ञान में आने पर कार्रवाई के बजाय इसे लगातार दबाने की ही कोशिश की जाती रही. अब जब यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा है तो सीबीआई से प्रारंभिक जांच कर कार्रवाई की बात कही जा रही है. खास बात यह भी है कि विधान परिषद सचिवालय ने भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए ब्लैक लिस्टेड कंपनी से परीक्षा कराई और अपनी सुविधा अनुसार लोगों को पास कराने का ठेका ले लिया. जिससे अपनी सुविधा अनुसार अपने रिश्तेदारों, परिजनों और करीबियों को विधान परिषद सचिवालय में नियुक्ति दी जा सकी.

विधान परिषद भर्ती घोटाला.
विधान परिषद भर्ती घोटाला.



बता दें, विधान परिषद के तत्कालीन सभापति रमेश यादव के कार्यकाल में समीक्षा अधिकारी सहायक समीक्षा अधिकारी रिपोर्टर अनु सेवक सुरक्षा गार्ड सहित कई पदों पर 100 से अधिक भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई थी. विभिन्न श्रेणी के 100 पदों पर विधान परिषद में भर्ती करके नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं. टाइपिंग से लेकर अन्य परीक्षा में जमकर खेल किए गए और भ्रष्टाचार किया गया. हाईकोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक प्रमुख सचिव विधान परिषद रहे राजेश सिंह ने अपने बेटे अरवेन्दु प्रताप सिंह, विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के भतीजे सलाह दुबे व पुनीत दुबे को समीक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी गई. इसके अलावा कई अन्य नेताओं अधिकारियों के करीबियों को भी नियुक्ति दी गई.

विधान परिषद भर्ती घोटाला.


हाईकोर्ट में दायर याचिका में लगे दस्तावेजों के अनुसार दो दर्जन से अधिक पदों पर हुईं नियुक्तियां संदेह के दायरे में हैं. विधान परिषद में तैनात एक अधिकारी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार होने के बावजूद विधान परिषद सचिवालय में नियुक्तियों में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है. अब जब यह पूरा मामला हाई कोर्ट की तरफ से सीबीआई के पास भेजा गया है तो सबके चेहरे बेनकाब होंगे.






यह भी पढ़ें : यूपी शिक्षक भर्ती पर प्रियंका बोलीं- यह मध्य प्रदेश के व्यापम जैसा घोटाला

Legislative Council UP : भाजपा एमएलसी ने कहा-हर घर नल से जल केवल योजना, मुख्यमंत्री ने नहीं लिया संज्ञान

ABOUT THE AUTHOR

...view details