लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow High Court) ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के एक निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा है कि किसी अभियुक्त के जमानत पाने की आशंका मात्र के आधार पर उस पर रासुका (National Security Act) नहीं लगाया जाना चाहिए. इसके साथ ही न्यायालय ने गो-हत्या के तीन अभियुक्तों की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं को मंजूर करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत उनके खिलाफ पारित हिरासत आदेश को खारिज कर दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव ने परवेज, इरफान और रहमतुल्लाह की ओर से दाखिल याचिकाओं पर पारित किया. राज्य सरकार द्वारा रासुका के तहत की गयी कार्रवाई में कहा गया कि अभियुक्तगण जमानत पर छूट सकते हैं और बाहर आने के बाद पुनः उनके अपराध करने की आशंका है. इस पर न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी का जिक्र करते हुए राज्य सरकार द्वारा लिए इस आधार को सिरे से खारिज कर दिया.
वहीं न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि गरीबी, बेरोजगारी अथवा भूख के कारण किसी का अपने घर के अंदर चुपचाप गो-वध करना कानून-व्यवस्था का विषय तो हो सकता है. लेकिन, इसकी ऐसी स्थिति से तुलना नहीं की जा सकती जबकि गो-वध करने वाले आम लोगों पर हमला कर देते हों अथवा गो-मांस का ट्रांसपोर्ट करते हों.