लखनऊ :हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2007 में सवा किलो आरडीएक्स के साथ गिरफ्तार किए गए आतंकवाद के अभियुक्त मोहम्मद तारिक काशमी का जमानत प्रार्थना पत्र मंजूर कर लिया है. न्यायालय ने काशमी को अपने स्थानीय पुलिस थाने पर अपनी जानकारी देते रहने व पासपोर्ट सरेंडर करने का भी आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने मोहम्मद तारिक काशमी की अपील के साथ दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए पारित किया. उक्त अपील के द्वारा तारिक काशमी ने 24 अप्रैल 2015 के बाराबंकी कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी हुई है. जिसमें उसे विस्फोटक अधिनियम, यूएपीए व देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के आरोपों में दोष सिद्ध किया गया था और उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. अपील के साथ दाखिल जमानत प्रार्थना पत्र पर काशमी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने दलील दी कि उसके पास से सवा किलो आरडीएक्स और तीन डेटोनेटर की फर्जी बरामदगी दिखाई गई थी. इसके बाद सिर्फ पुलिसकर्मियों की गवाही के आधार पर उसे सजा सुना दी गई. जमानत प्रार्थना पत्र का राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश वर्मा विरोध ने किया. दलील दी गई कि मात्र पुलिसकर्मियों की गवाही के आधार पर अपीलार्थी को दोषसिद्ध करने में ट्रायल कोर्ट ने कोई गलती नहीं की है.