उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, ट्रायल के अभाव में क्या अभियुक्त को जेल में रखना उचित है - लखनऊ समाचार

इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार को एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि ट्रायल के अभाव में क्या अभियुक्त को जेल में रखना उचित है. कोर्ट ने सरकारी वकील को इस संबंध में सरकार और ट्रायल कोर्ट से निर्देश प्राप्त कर अगली सुनवाई पर अवगत कराने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच
इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच

By

Published : Nov 19, 2020, 1:48 AM IST

लखनऊ: हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को राम निवास उर्फ ननकन की जमानत याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने प्रश्न उठाया है कि कोविड-19 महामारी की वर्तमान परिस्थिति में जबकि ट्रायल कोर्ट ट्रायल प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पा रही है, ऐसे में क्या अभियुक्त को जेल में रखना उचित है. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि यदि है तो इसका तार्किक कारण क्या हो सकता है. कोर्ट ने सरकारी वकील को इस संबंध में सरकार और ट्रायल कोर्ट से निर्देश प्राप्त कर अगली सुनवाई पर अवगत कराने का आदेश दिया है. इस याचिका पर अब अगली सुनवाई 7 दिसम्बर को होगी.


कोर्ट ने अभियुक्त के मुकदमे की स्टेटस रिपोर्ट की थी तलब
यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने राम निवास उर्फ ननकन की जमानत याचिका पर दिया. इसके पूर्व कोर्ट ने अभियुक्त के मुकदमे की स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी. जिस पर गोण्डा के अपर जिला और सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट, प्रथम की ओर से न्यायालय को रिपोर्ट प्रेषित कर बताया गया कि मामले में अभियुक्त पर 26 मार्च 2019 को ही आरोप तय हो चुका है, लेकिन पिछले कई महीनों से कोविड-19 महामारी के कारण ट्रायल की प्रक्रिया रुकी हुई है.

कोर्ट ने कोरोना को लेकर जताई चिंता
कोर्ट ने रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि इसका आशय है कि निचली अदालत ट्रायल प्रक्रिया आगे बढ़ाने में असमर्थ है. कोर्ट ने कहा कि यदि निचली अदालत ट्रायल प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ा सकती है, तो अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में रखने का यह कोई तार्किक कारण नहीं प्रतीत होता है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि आने वाले दिनों में कोविड-19 नियंत्रण में आता नहीं दिख रहा है. ऐसे में हमारे सामने प्रश्न है कि ऐसी परिस्थिति में जबकि ट्रायल कोर्ट प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं, क्या अभियुक्त की आजादी को कम किया जा सकता है. कोर्ट ने इस प्रश्न का भी तार्किक उत्तर मांगा है कि अभियुक्त को इसलिए जेल में रखा गया है कि ट्रायल जल्द से जल्द पूरा किया जाए, लेकिन जबकि स्थिति दूसरी है तो ऐसे में क्या किया जाना चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details