लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चार महिलाओं समेत कुल सात बांग्लादेशी जमातियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. हालांकि न्यायालय ने उन पर सख्त पाबंदियां लगाते हुए ट्रायल के दौरान निचली अदालत में प्रत्येक तारीख पर स्वयं अथवा अधिवक्ता के द्वारा उपस्थित रहने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट ने दिया आदेश
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने मोहम्मद सफीउल्लाह, जहीर इस्लाम उर्फ मोहम्मद जहीर-उर-इस्लाम व मोहम्मद अलाउद्दीन समेत चार महिलाओं अकाली नाहर उर्फ अक्लिमुन नाहर, जमीला अख्तर, राहिमा खातून व जरीना खातून की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया.
अधिवक्ता ने दी जानकारी
याचियों की ओर से अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने दलील दी कि याचियों को मड़ियांव थानांतर्गत ग्राम मुतक्किपुर के तकवा मस्जिद से 18 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. याचियों पर निजामुद्दीन दिल्ली में जमात की मजलिस में भाग लेने का आरोप है, जबकि याचियों ने न तो वीजा नियमों का उल्लंघन किया और न ही गलत या फर्जी पासपोर्ट से भारत में दाखिल हुए.
यह भी कहा गया कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लागू कर दिया गया, जिससे याचियों के लखनऊ के बाहर कहीं जाने का प्रश्न ही नहीं उठता था. यह भी दलीलें दी गईं कि याचियों के खिलाफ लगी धाराओं में अधिकतम 5 साल का कारावास है. जमानत याचिका का सरकारी वकील की ओर से विरोध किया गया.
हालांकि न्यायालय ने पाया कि याचियों को मिली अंतरिम जमानत के दौरान उनके द्वारा किसी भी प्रकार से अंतरिम जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया गया. इन आधारों पर न्यायालय ने याचियों को ट्रायल के दौरान निचली अदालत में उपस्थित रहने व अन्य शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.