लखनऊ : बाराबंकी के रामसनेही घाट तहसील परिसर में बनी कथित अवैध मस्जिद को हटाने के बाद हुए बवाल में अभियुक्त बनाए गए इश्तियाक अहमद उर्फ सोनू की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत निरुद्धि को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अवैध करार दिया है. न्यायालय ने कहा है कि यदि वह किसी अन्य मामले में वांछित न हो तो उसे रिहा किया जाए.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इश्तियाक अहमद उर्फ सोनू की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत निरुद्धि को अवैध करार दिया है. इश्तियाक अहमद उर्फ सोनू बाराबंकी के रामसनेही घाट तहसील परिसर में बनी कथित अवैध मस्जिद को हटाने के बाद हुए बवाल का अभियुक्त बनाया गया था. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने इश्तियाक अहमद की ओर से उसकी मां द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया.
इस मामले में इश्तियाक अहमद के खिलाफ 20 मार्च 2021 को एफआईआर दर्ज की गई थी. उक्त एफआईआर में उसके अतिरिक्त 21 अन्य लोगों को नामजद किया गया था और तकरीबन डेढ़ सौ लोगों को अज्ञात बताया गया था. एफआईआर दर्ज करते हुए आरोप लगाया गया कि 19 मार्च 2021 को अभियुक्तों ने तहसील परिसर में स्थित अवैध अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस बल व अन्य लोगों पर जानलेवा हमला किया. इसके पूर्व उन्होंने भीड़ को उकसाया भी था. आगे कहा गया कि रोकने पर अभियुक्तों ने लाठी-डंडों, ईंट-पत्थरों व अन्य हथियारों से हमला कर दिया. इश्तियाक अहमद के पास से देसी तमंचा व दो कारतूस बरामद होने की बात कही गयी. इसके बाद इश्तियाक अहमद के विरुद्ध रासुका की कार्रवाई की गयी.
न्यायालय ने पाया कि रासुका की कार्रवाई के विरुद्ध याची द्वारा दिये गये प्रत्यावेदन पर राज्य सरकार ने तो समय से विचार कर लिया लेकिन केंद्र सरकार की ओर से चार दिनों की देरी की गयी. उक्त चार दिनों की देरी का कोई युक्तियुक्त कारण भी नहीं बताया जा सका. इस आधार पर न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के एक नजीर का हवाला देते हुए रासुका में याची की निरुद्धि को अवैध करार दिया है.
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