लखनऊ:डॉ. वाईएस सचान की जेल में मौत के मामले में सीबीआई कोर्ट द्वारा बतौर अभियुक्त तलब किए गए, तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह, तत्कालीन एडिशनल डीजीपी विजय कुमार गुप्ता व तत्कालीन जेलर भीमसेन मुकुंद को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court)से बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने इन सभी को तलब किए जाने के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीबीआई के 7 जुलाई के आदेश पर रोक लगा दी है. न्यायालय ने डॉ. सचान की पत्नी व वादी मालती सचान को भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की एकल पीठ ने उपरोक्त तीनों पूर्व अधिकारियों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर पारित किया. याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि मामले में सीबीआई जांच कर चुकी थी व डॉ. सचान की मृत्यु को आत्महत्या पाते हुए क्लोजर रिपोर्ट भी दाखिल कर दी गई थी. यह भी दलील दी गई कि याचियों के सरकारी अधिकारी होने के कारण उन्हें तलब किए जाने से पूर्व शासन से संस्तुति प्राप्त करना अनिवार्य था। सीबीआई ने दोहराई आत्महत्या की थ्योरी मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता अनुराग कुमार सिंह ने कहा कि सीबीआई ने मामले की बारीकी से जांच की थी व डॉ. सचान की मृत्यु को आत्महत्या पाए जाने के बाद ही क्लोजर रिपोर्ट लगाई गई थी।
क्या है मामला
डॉ. सचान एनआरएचएम घोटाला मामले में न्यायिक हिरासत में थे. 22 जून 2011 को डॉ. वाईएस सचान की संदिग्ध परिस्थितियों में लखनऊ जेल में मौत हुई थी. 26 जून 2011 को उनकी मौत की एफआईआर थाना गोसाइगंज में अज्ञात व्यक्तियों क खिलाफ दर्ज हुई थी. इसके बाद डॉ. सचान की मौत की न्यायिक जांच शुरू हुई. 11 जुलाई 2011 को न्यायिक जांच रिपोर्ट में डॉ. सचान की मौत को हत्या करार दिया गया. 14 जुलाई 2011 को हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.