लखनऊः सरकार के आला अधिकारियों को हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना महंगी पड़ गई. प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी और निदेशक डॉक्टर एसएन सिंह पर आरोप तय हुआ. न्यायालय ने आरोप पर सुनवाई के लिए 27 अक्टूबर की तिथि तय की है. न्यायालय ने दोनों अधिकारियों से पूछा है कि उन्हें आदेश की अवमानना के लिए क्यों न दंडित किया जाए.
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने कुमारी अंकिता मौर्या और अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया. याचिका में कहा गया है कि 28 जनवरी 2020 को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इन्हें याचियों की सेवा सम्बंधी याचिका पर आदेश दिया था कि सरकार के मेडिकल कॉलेज, अस्पताल अथवा डिस्पेंसरी में आयुर्वेदिक स्टाफ नर्स के पद पर उनकी नियुक्ति पर विचार किया जाए. लेकिन न्यायालय के उक्त आदेश के अनुपालन में कोई कार्रवाई नहीं की गई.
वहीं राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता ने न्यायलाय को बताया कि उक्त आदेश के खिलाफ एक विशेष अपील दाखिल की गई है. हालांकि उक्त विशेष अपील में कोई स्टे ऑर्डर नहीं पारित हुआ है. सरकार की ओर से पिछली सुनवाई पर ही न्यायालय से अनुरोध किया गया था कि 6 अक्टूबर तक अगर डिविजन बेंच से स्टे ऑर्डर नहीं मिलता है तो वर्तमान अवमानना याचिका पर बहस के लिए वह तैयार रहेंगे. लेकिन स्टे न मिलने के बावजूद सरकार की ओर से और समय दिए जाने की मांग की गई.
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कहा गया कि उक्त पद पर सिर्फ सौ रिक्तियां हैं. जबकि 28 जनवरी 2020 के आदेश के बाद बड़ी संख्या में इसी पद के लिए आवेदन आ चुके हैं. ऐसे में उक्त आदेश का अनुपालन मुश्किल हो रहा है. इस पर न्यायालय ने कहा कि बेहतर होता कि आप उन सौ रिक्तियों को भरने के बाद यही दलील देते, लेकिन आपने इस सम्बंध में कोई कदम नहीं उठाया है.