लखनऊ: विवादों में रहने वाले भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के भतीजे सुमित सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं. धोखाधड़ी करके सरकारी जमीन की खरीद और बिक्री करने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुमित सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. साथ ही एफआईआर को चुनौती देने वाली सुमित सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने सुमित सिंह की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया है. याचिका में सुमित सिंह व अन्य लोगों के खिलाफ गोंडा जनपद की कोतवाली नगर ठाणे में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी. याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर ने दलील दी थी कि अभियुक्त ने जिन लोगों के नाम प्रश्नगत जमीन थी, उनसे बिना किसी दुर्भावना के खरीदा है.
यह भी कहा गया कि विक्रेतागण जमीन के मूल खातेदार हैं. हालांकि सरकार की ओर से बताया गया कि कूटरचना करते हुए, सरकारी जमीन का खातेदार कथित विक्रेतागण को दिखाया गया है. वहीं सुमित सिंह की ओर से यह भी दलील दी गई कि मामला पूरी तरह दीवानी प्रकृति का है लेकिन प्रशासन द्वारा इसे आपराधिक मामले का रंग देते हुए, वर्तमान एफआईआर दर्ज करवा दी गई.
याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया. कहा गया कि अभियुक्त ने अन्य अभियुक्तों से साठगांठ करके गोंडा शहर के सिविल लाइंस स्थित बेशकीमती जमीन को धोखाधड़ी करते हुए, कर-विक्रय किया. कोर्ट में दलील दी गई कि अभियुक्त पर लगे आरोप गम्भीर प्रकृति के हैं तथा संज्ञेय हैं.
उल्लेखनीय है कि नजूल निरीक्षक रघुनाथ तिवारी की तहरीर पर नगर कोतवाली में सांसद बृजभूषण शरण सिंह के भतीजे व मेसर्स दक्षायनी इंटरप्राइइजेज के प्रोपाइटर सुमित सिंह समेत सदानंद, अर्जुन प्रसाद, अयोध्या प्रसाद, काशीराम, उमादेवी, जगदीश प्रसाद, जगदेव व वासुदेव के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई थी.
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