लखनऊ.मेडिकल कॉलेज की मान्यता लेने के लिए मजदूरों को बिना बीमारी अस्पताल में भर्ती करके फर्जी इलाज करने समेत अन्य आरोपों के मामले में अभियुक्त डॉ. एमसी सक्सेना और उनके परिवार को कोई भी राहत देने से हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने साफ तौर पर इंकार कर दिया है. जी हां, न्यायालय ने एफआईआर खारिज करने और गिरफ्तारी पर रोक की उनकी याचिका को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ में लिया गया है.
जानकारी के मुताबिक याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया और डॉ. पूजा सिंह ने दलील दी कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर आधारहीन है. जो धाराएं उन पर लगाई गई हैं, उनमें मामला ही नहीं बनता और याचियों का कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं है जबकि याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी कि डॉ. एमसी सक्सेना के खिलाफ तीन आपराधिक मामले पहले से दर्ज हैं.
याचियों ने अपने अस्पताल को मेडिकल कॉलेज का दर्जा दिए जाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से उक्त अपराध को अंजाम दिया है. न्यायालय को यह भी अवगत कराया गया कि याचीगण विवेचना में कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं बल्कि साक्ष्यों को भी नष्ट कर रहे हैं.